Friday, 19 July 2019

सृष्टि के कण कण में बस शिव ही शिव हैं

श्रावण भगवान शिव की आराधना का मास है। संस्कृत में ‘शि’ का अर्थ है कल्याणकारी और ‘व’ का अर्थ है दाता। यानि शिव शब्द से आशय है - कल्याण को देने वाला।

शिव पुराण में शिव को अजन्मा माना जाता है, मतलब जिसका जन्म नहीं हुआ। जो हमेशा से थे और रहेंगे। जिनकी ना कोई शुरूआत है और ना ही अन्त। लेकिन विष्णु पुराण के अनुसार शिव की उत्पत्ति भगवान विष्णु के माथे के तेज़ से हुई है। और तेज़ से उत्पन्न होने के कारण ही भगवान शिव हमेशा योग मुद्रा में रहते हैं।

हिन्दू महीनों के नाम नक्षत्रों पर हैं। और श्रावण नक्षत्र का स्वामी चन्द्रमा है जो भगवान भोलेनाथ के मस्तक पर विराजमान है। इस समय सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते समय बारिश होती है और हलाहलधारी भगवान शिव को ठण्डक मिलती है इसलिए श्रावण मास उनका प्रिय महीना है और सोमवार प्रिय वार। शीश पर सोम यानि चंद्रमा को धारण करने की वजह से ही सोमवार को उनकी पूजा का खास महत्व है। यह भी माना जाता है कि चंद्रमा की पूजा करने से वो खुद भगवान शिव तक पहुंचती है।

त्रिदेवों में शिव जी का रूप सबसे अलग और अनूठा है। वो सृष्टि के संहारक भी है और सृष्टि के जीवो और भौगोलिक पिण्डों के बीच सामंजस्य बैठाकर इसे सुचारू रूप से चलाने वाले सिद्ध योगी भी। शीश की जटाओं पर उन्होंने उग्र जलधारा वाली गंगा और मस्तक पर शीतल चंद्रमा को धारण कर रखा है। यह दोनों भोलेनाथ को उस हलाहल विष की गर्मी से शीतलता प्रदान करते हैं जो उन्होंने समुद्र मंथन के समय पिया था।

शिव के गले में पवित्र रुद्राक्ष की माला भी है और विषैला वासुकि नाग भी। शिव के हाथ में त्रिशूल हैं और डमरू भी। वो योगी भी हैं और नटराज भी।
मृगछाला पहने शिवजी बाघ की खाल के आसन पर विराजमान, कैलाश पर्वत पर धूनी रमाते हैं। सरलता इतनी कि यह छप्पन भोग नहीं बल्कि बेलपत्र, धतूरा और दूध के प्रसाद से प्रसन्न हो जाते हैं।

विरोधाभास पूरे शिव परिवार में देखने को मिलता है। शिव के गले में नाग है जबकि उनके जयेष्ठ पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है जो नाग को खाता है। कनिष्ठ पुत्र गणेष का वाहन मूषक है जो कि सर्प का प्रिय भोजन हैं। माता पार्वती का वाहन शेर है जबकि शिव जी खुद नन्दी बैल पर चलते हैं। यह विरोधाभासी परिवार सभी को मिलजुल कर रहने का संदेश देता है।

शिव सबसे रहस्यमयी और भोले देव भी हैं। शिव को केवल मनुष्य ही नहीं देवता, दानव, असुर, पिचाश, भूत, गंधर्व, यक्ष सभी पूजते हैं। वो राम के भी आराध्य हैं और रावण के भी और दोनों को ही समान रूप से वरदान भी देते हैं।
आदि है, अन्त है। सूक्ष्म है, अनन्त है
सृष्टि के कण कण में बस शिव ही शिव है...

Thursday, 11 July 2019

वेटिकन की कब्रें खोदकर ढूंढा जा रहा है 36 साल पहले गायब हुई इमैन्युएला को, सुलझने की बजाय और उलझ रही है मिस्ट्री


Truth is stranger than fiction- "सच कहानी से ज़्यादा अजीब होता है"।
दुनिया के सबसे छोटे देश 'वेटिकन सिटी' में मिस्ट्री और थ्रिल से भरी ऐसी ही कहानी घट रही है। यह कहानी है 'इमैन्युएला ऑरलैन्डि' की, जो 36 साल पहले गायब हो गई थी और जिनकी तलाश लगातार नए राज़ सामने ला रही है।
-शुरूआत किरदारों से करते हैं। इमैन्युएला ऑरलैन्डि की कहानी के अहम किरदारों में हैं उनके मरहूम पिता जो वेटिकन चर्च के क्लर्क थे। इमैन्युएला के बड़े भाई 'पीट्रो ऑरलेन्डो' जो फिलहाल साठ साल के हैं और अब तक उनकी खोज जारी रखे हुए हैं और 'वेटिकन सिटी' जिसके आस-पास पूरी इन्वेस्टिगेशन घूमती है।
-इमैन्युएला का पूरा परिवार वेटिकन सिटी में रहता था। 22 जून 1983 को 15 साल की इमैन्युएला, सेंट्रल रोम में म्यूज़िक क्लास लेने गई थी। और कभी नहीं लौटी।
-वेटिकन सिटी से जुड़े परिवार का मामला था लिहाजा बड़े स्तर पर खोज की गई। हालांकि वेटिकन अथॉरिटीज़ ने जांच में ज़्यादा सहयोग नहीं दिया। इमैन्युएला नहीं मिली।
- इस दौरान ऑरलेन्डि परिवार को बहुत सारे अज्ञात कॉल्स और खत मिले। कभी मानव तस्करी से इमेन्युएला के गायब होने को जोड़ा गया, कभी वेटिकन पुलिस के सेक्स रैकेट से और कभी यह खबर मिली कि वेटिकन सिटी के एक मुजरिम को छुड़ाने के लिए उनका अपहरण किया गया है। विदेशों में भी उनेकी खोज की गई।
-2012 में इटली के मॉबस्टर एनरिको डी पीडिस की कब्र में इमैन्युएला को दफनाए जाने की लीड मिली। इस कब्र को खोदा गया और यहां मिली अस्थियों का डीएनए टेस्ट कराया गया लेकिन वो इमैन्युएला की नहीं निकलीं।
-इसी साल मार्च में पीट्रो को एक क्रिप्टिक लैटर मिला जिसमें एक एन्जल की मूर्ति की फोटो थी और लिखा था कि वहां देखिए जहां यह मूर्ति इशारा कर रही है।
-एन्जल की यह मूर्ति वेटिकन सिटी में सेन्ट पीटर्स बेसिलिका के पीछे बने उस ट्यूटॉनिक कब्रिस्तान में मिली जहां जर्मन और ऑस्ट्रियन राजपरिवार के लोगों को दफनाया जाता है।
- काफी मशक्कत के बाद, वेटिकन अथॉरिटिज़ से आज्ञा लेकर कल इन कब्रों को खोदा गया।

-लेकिन कब्रों को खोदने के बाद मिस्ट्री और बड़ी हो गई। क्योंकि इमैन्युएला की अस्थियां मिलना तो दूर बल्कि उन कब्रों में जो दो जर्मन राजकुमारियां दफन थी, उनके ताबूत भी बिल्कुल खाली पाए गए।
-इस खोज ने यह सवाल और खड़ा कर दिया है कि आखिर वो दो राजकुमारियां जो यहां दफन थी, उनकी अस्थियां और फ्यूनरेरी अर्न कहां गए। (फ्यूनरेरी अर्न मेटल या सिरामिक के बने ढक्कनदार पात्र होते हैं जो दफनाए गए लोगों के साथ रखे जाते हैं। राजकुमारियों की अस्थियों के साथ ये पात्र भी गायब थे।)
- लोग यह भी शक जता रहे हैं कि यह क्रिप्टिक लैटर इसलिए भेजा गया था ताकि खाली कब्रों का राज़ दुनिया के सामने लाया जा सकें। वेटिकन अब इस मामले की जांच कराने की बात कह रहा है।
- 2013 में जब पीट्रो अपनी बहन की खोज में सहयोग की अपील करने के लिए पोप जॉन पॉल द्वितीय से मिले थे तो उन्होंने कहा था कि 'तुम्हारी बहन स्वर्ग में हैं'। हैरान पीट्रो ने इस बारे में पोप से बात करने की काफी कोशिश की कि क्या वो जानते हैं कि इमैन्युएला मर चुकी है और उसके साथ क्या हुआ लेकिन पोप इसके बाद पीट्रो से कभी नहीं मिले।
-अभी तक जो भी इन्वेस्टिगेशन हुई है उसके सारे सिरे वेटिकन सिटी से जुड़ते हैं।
-पीट्रो डिटरमाइन्ड हैं कि वो सच्चाई पता करके रहेंगे। खोज जारी है।
-इस सबके बीच.., इमैन्युएला की मां मारिया आज भी वेटिकन सिटी में ही रहती हैं।

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