देशभक्त ऐसे हों तो देश को देशद्रोहियों की ज़रूरत क्या है... रविश जी को बौद्धिक आतंकवाद फैलाने के लिए साधुवाद
सच में रविश जी कमाल कर दिया आपने, रिपोर्टिंग और एंकरिंग का एक नया आयाम छूने के लिए आपने जो कोशिश की है इसे इलैक्ट्रॉनिक जर्नलिज़्म में आने वाली पीढ़िया भी भुला नहीं पाएंगी। इस अंधेरे ने हमें आवाज़े सुनवाई ऐसी आवाज़े जो हमें उद्वेलित करती हैं, विवेक खोने को मजबूर करती हैं, वो सारी आवाज़े जो यह साबित करती हैं कि देशद्रोह का विरोध करने वाले हम सब भारतवासी और चंद न्यूज़ चैनल्स गलत हैं और आप सही। कितनी आसानी से आपने अपनी बात हम पर सबके मन में बैठा दी और साफगोई और निष्पक्ष होने की वाह-वाही भी लूट ली। रविश जी आपके इस कार्यक्रम में बहुत आवाज़ो को जगह मिली लेकिन कुछ आवाज़े आपने छोड़ दी. मैं यहां केवल उन आवाज़ों का ज़िक्र करना चाहती हूं। -आपके कार्यक्रम में उन कुछ लोगों की आवाज़े तो थी जिन्होंने कन्हैया को बिना जांच पूरी हुए देशद्रोही साबित कर दिया, लेकिन वो आवाज़े कहां थी जिन्होंने बिना जांच पूरी हुए कन्हैया को निर्दोष करार दे दिया और जिनमें एक आवाज़ आपकी भी है। -आपने उन आवाज़ो की बात तो की जो यह कहती हैं कि कन्हैया की रिहाई की मांग करने वाले केवल लेफ्ट छात्र नहीं, बल्कि अन्य भी हैं...