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सृष्टि से पहले सत् नहीं था, असत् भी नहीं, छिपा था क्या, कहां किसने ढका था....: ऋगवेद के सूक्तों का हिन्दी अनुवाद है यह अमर गीत

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वर्ष 1988 में दूरदर्शन पर हर रविवार की दोपहर श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित एक सीरियल प्रसारित हुआ करता था -'भारत एक खोज', जो कि पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा 1946 में लिखित किताब 'डिस्कवरी ऑव इंडिया' पर आधारित था। इसके 53 एपिसोड्स में भारत के 5000 सालों के इतिहास का फिल्मांकन किया गया था। लेकिन यहां हम सीरियल की बात नहीं करेंगे। बल्कि इस लेख का उद्देश्य इस सीरियल के शीर्षक गीत- "सृष्टि से पहले सत् नहीं था..." का महत्व सामने लाना है। सनातन धर्म के सबसे आरम्भिक स्त्रोत, ऋगवेद के संस्कृतनिष्ठ सूक्तों से शुरू होने वाले, इस शीर्षक गीत में गूंजने वाली संस्कृत, बेहद क्लिष्ट होने के बावजूद कानों में रस घोलती है और सुनने वाले को एक अलग श्रव्य रस से परिचित कराती है। लेखक व अनुवादक वसंत देव के बोल, संगीतकार वनराज भाटिया का संगीत और सुरीला समूह गायन वो विशेषताएं हैं जो इस गीत को समय और काल के परे लोकप्रिय बनाती हैं। पर ऐसा क्या खास है इसके बोलों में कि जब यह गीत कानों में गूंजता है तो सुनने वाले को एक अलग अनुभूति देता है? क्या आप जानते हैं कि यह पूरा गीत दरअसल