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Showing posts from November, 2014

वो मास्टर स्प्रेयर बनना चाहता है ताकि एक दिन में पांच घरों में पेस्टिसाइड्स का छिड़काव कर सकें और उसकी तन्ख्वाह साढ़े पांच हज़ार से आठ हज़ार रुपए हो जाए... 'एक पेस्ट कंट्रोलर की कहानी'

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कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें हम शायद लोगों में गिनते ही नहीं। वो भीड़ का हिस्सा भी नहीं होते, बल्कि शायद उनका किनारा होते हैं... भीड़ में सबसे पीछे खड़े लोग जिन्हें भीड़ में भी जगह नहीं मिलती... यह कहानी भी ऐसे ही इंसान प्रदीप की है.. जिनकी इस दुनिया में उपस्थिति को हमने कभी शायद एक सोच भी नहीं बख्शी होगी... 19 साल का प्रदीप, लक्ष्मी नगर दिल्ली की एक पेस्ट कंट्रोल कंपनी में काम करता है- और एक महीने में लगभग 78 घरों में ज़हरीले पेस्टिसाइड्स, इन्सेक्टिसाइड्स और अन्य दवाईयों का छिड़काव करता है, यानि रोज़ लगभग 2 से ज्यादा घरों में। 'पेस्टिसाइड स्प्रेयर' बनना प्रदीप का सपना कभी भी नहीं था। वो तो मधुूबनी, बिहार के अपने गांव से दिल्ली इसलिए आया था कि कहीं चपरासी या कोई और छोटी मोटी नौकरी करके अपनी गुजर कर सके और अपने मां-बाप के पास पैसा भेज सके। 17 साल का प्रदीप यहां अपने एक दूर के रिश्तेदार के भरोसे चला आया था जो कहीं चपरासी की ही नौकरी करता था। प्रदीप जब यहां आकर अपने उस रिश्तेदार से मिला तो हकीकत पता लगी। पता चला कि वो तो दरअसल पेस्ट कंट्रोल कंपनी में काम करता है और घरवा...

Getting my 9 year old son enrolled in a new school is the biggest worry I have in mind while moving in my Home that is 20 kilometers away from the home we have been staying for past 8 years

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Yes, that is true... Gone are the days when you are happy while moving into your own home as it brings stability to your life & peace in your mind. Things are different if you are a resident of Delhi/NCR. Here, moving into your own home does not give more happiness than it gives a reason to worry about. With my own base, I'll also have to Shift My son's base... His school. Any number of Parents who have gone through the trauma of finding a good education institute (esp in Delhi, NCR) for their young ones, can easily understand my woes. I still remember those days, six years back when we were looking for a good school for our son. We went to all the schools in vicinity & filled forms. Finally he got admission in nursery in Bal Bhawan school (that was listed 2nd lowest in the schools list) . Once his admission was confirmed,  school staff -in a very sophisticated manner, started  punching a big hole in our pocket. They asked us to submit admission fees- that inclu...

सलोनी सी सर्दी के स्वादों से सजी एक कविता

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