जीवनदायी उपासना के तीन पर्व
भारत त्यौहारों का देश है, जहां हर मौसम खुशियों का त्यौहार लेकर आता है। यहां के अधिकांश पर्व ऋतुओं, धरती और सौर मंडल के परिवर्तन से जुड़े होते हैं- चाहे वो लोहड़ी हो, मकर संक्रांति हो या फिर पोंगल.. सबके पीछे छिपी है एक परंपरा, एक आस्था और खुशहाली, हरियाली, धन-धान्य, पूजा-पाठ और एक दूसरे से मिल कर खुशियां बांटने की चाह। नए वर्ष के आगमन के साथ ही चले आते हैं उत्तर भारत के मकर संक्रांति, पंजाब की लोहड़ी और दक्षिण भारत के पोंगल जैसे त्यौहार और इनके साथ ही गुजरात और राजस्थान का पूरा आसमान रंग जाता है रंग-बिंरगी, बलखाती, पेंच लड़ाती पतंगों से। क्या आप जानते हैं इन त्यौहारों, इन परंपराओं की वजह और ज़रूरत...? हम अापको बताते हैं। दरअसल अलग अलग रूपों में, देश के अलग अलग हिस्सों में मनाए जाने वाले ये जीवनदायी पंचतत्वों को पूजने के त्यौहार हैं। लोहड़ी का त्यौहार जहां अग्नि तत्व की आराधना से जुड़ा है तो मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होते हैं और उनकी उपासना की जाती है। वहीं पोंगल धरती मां की वंदना का पर्व है। लोहड़ी का त्यौहार लोहड़ी को आपसी भाईचारे और प्रेम की मिसाल कायम करने व...