बहुत दिनों से यह सवाल जीतू-मीतू के मन में था। जीतू-मीतू...अरे वो जुड़वा स्पोट्स जूते, जिन्हें पहनकर रोज़ अभिषेक अपने पांच दोस्तों के साथ फुटबॉल खेलने जाता है। दोनों ही बहुत प्यारे हैं। भाई हैं, बिल्कुल एक जैसे, आईडेंटिकल ट्विन्स। एक दूसरे की मिरर इमेज। एक दायां और बायां...।


जीतू-और मीतू को तो ऐसे जवाब की आशा ही नहीं थी। वो तो उसे बेचारी फुटबॉल समझकर सहानुभूति जताने की सोच रहे थे। पर यहां तो मामला ही अलग निकला।
"अच्छा यह बताओ तुम्हें अभिषेक के सारे दोस्तों में से सबसे ज़्यादा कौन पसंद है? " जीतू ने पूछा।
"हां इस बात का जवाब मैं दे सकती हूं.." फिर से एक बार हंसते हुए फुटबॉल बोली। फ़िर कुछ सोचते हुए फुटबॉल ने बताना शुरु किया। देखो, वो गगन है ना, अभिषेक का मोटू दोस्त, वो मुझे ज़्यादा पसंद नहीं, क्योंकि एक तो वो रोज़ रोज़ स्टड्स पहनकर आता है और उससे मुझे किक मारता है तो मुझे चोट लग जाती है। यहीं नहीं वो जानबूझ कर मुझे मैदान से बाहर भेजता है, हालांकि उसकी वजह से मेरी बाहर की सैर भी हो जाती है लेकिन परेशानी यह है कि वो अक्सर मुझे कूड़े की तरफ उछाल देता है, वहां बहुत बदबू आती है।
और वो जो अमन हैं ना, जो रोज़ पीली स्पोर्ट्स टीशर्ट पहनकर आता है और गोलकीपर बनता है, वो भी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। क्योंकि वो बड़ा गंदा रहता है। अक्सर अपनी नाक में हाथ डालता रहता है, और फ़िर उन्हीं गन्दे हाथों से मुझे पकड़ता है। उसके नाखून भी बहुत लम्बे हैं जो मुझे चुभ जाते हैं और दर्द होता है। उसके पास जाना भी मुझे अच्छा नहीं लगता।

"तो तुम्हें कोई भी पसंद नहीं.." इस बार मीतू ने पूछ लिया।
"नहीं आदित्य और रोहित तो बहुत अच्छे हैं। दोनों बहुत अच्छे से मेरे साथ खेलते हैं। और आदित्य को तो खासकर मुझसे बहुत लगाव है। वो जब भी गोलकीपर बनता है और मैं उसके पास जाती हूं तो वो बहुत ज्यादा खुश होता है। वो मेरा ख़याल भी बहुत रखता है क्योंकि उसे बड़े होकर फुटबॉलर बनना है ना। वो अक्सर अभिषेक से मुझे मांगकर मुझे अपने साथ घर ले जाता है और देर तक मेरे साथ खेलता है। किक मारने की प्रैक्टिस करता है। वो अपने घर पर मुझे पलंग पर अपने तकिए के पास ही रखकर सोता है और सुबह उठते ही मुझसे खेलना शुरू कर देता है। इसलिए वो मेरा फेवरेट है।"
हालांकि जीतू और मीतू के दिमाग में अभी सवाल बाकी थे पर तभी फुटबॉल ने उन्हें चुप करा दिया.." वो देखो शाम हो चुकी है और अभिषेक भी आ रहा है। अब यह बातें छोड़ो, अब हम सबके बाहर घूमने जाने का वक्त है".. कहते हुए एक बार फिर फुटबॉल खिलखिलाने लगी, इस बार जीतू और मीतू भी मुस्कुरा दिए, उन्हें ना केवल अपने सवालों के जवाब मिल गए थे बल्कि कुछ गलतफहमियां भी दूर हो गईं थीं।