क्या आपने बन्ना-बन्नी, लांगुरिया और खेल के गीतों का मज़ा लिया है. लेडीज़ संगीत का मतलब केवल डीजे पर डांस करना नहीं है..
आजकल शादियों में लेडीज़ संगीत के नाम पर जो डीजे लगा दिया जाता है और सब लोग अपनी पसंद के गाने चुन-चुन कर उस पर डांस कर लेते हैं, वो तो संगीत है ही नहीं जनाब। लेडीज़ संगीत का असली मज़ा तो ढोलक की थाप पर सुर लेते बन्ने बन्नी, लागुंरिया, खेल और गालियों से भरे गानों में आता है। यकीन मानिए आप कितने भी अपमार्केट होने का दावा कर लें, पहले से रिहर्सल कर के डीजे के गानों पर डांस कर लें, लेकिन जब तक इन देसी लोकगीतों का मज़ा नहीं लेगें, लेडीज़ संगीत का मज़ा पूरा नहीं होगा। इन गानों में इतना अपनापन है, इतनी आम बोलचाल की भाषा और मज़ेदार छेड़खानियां हैं कि आप एक बार इन्हें सुनेंगे तो वाह-वाही किए बगैर नहीं रह पाएंगे।
इन गानों की खासियत है इनमें सारे नातेदारों और रस्मों को शामिल किया जाना और इनके चुटीले बोल। जैसे कि आपस में गॉसिप करते हुए एक दूसरे से छेड़छाड़ की जा रही हो। शादी के खुशनुमा माहौल में दूल्हा-दुल्हन यानि बन्ना-बन्नी से लेकर, समधी -समधन, चाचियां, मामियां, ताईयां, भाभियां, देवर, देवरानियां, जेठ- जेठानियां.. किसी को भी इन गानों में बख्शा नहीं जाता। सबका तसल्ली से मज़ाक बनाया जाता है, चुहलबाज़ियां की जाती हैं, लच्छेदार बातों को लपेट लपेट कर, रचनात्मक मुखड़ों के साथ, ढोलक की थाप पर जब रिश्तेदारों को परोसा जाता है तो दिल-दिमाग सब खुश हो जाते हैं। बातें होती हैं मज़ाक की, और मज़ाक मज़ाक में जमकर एक दूसरे की खिंचाई की जाती है। लड़की वाले अपनी बन्नों की तरफदारी करते हुए समधियों की टांग खींचते हैं तो लड़के वाले भी कहीं पीछे नहीं रहते।
एक बानगी देखिए, खास लड़की वालों की तरफ से..
कल रात बन्नी के घर चोरी हुई, इस चोरी में बन्नी का क्या क्या गया..
इस चोरी में बन्नी की सासु गई, चलो अच्छा हुआ घर का कूड़ा गया,
कल रात बन्नी के...
इस चोरी में बन्नी की जिठनी गई, चलो अच्छा हुआ, घर का हिस्सा गया।
कल रात बन्नी के घर...
इस चोरी में बन्नी का देवर गया, चलो अच्छा हुआ घर का लोफर गया।
कल रात बन्नी के..
इस चोरी में बन्नी का जीजा गया, चलो अच्छा हुआ घर का हिटलर गया...।
अब लड़के वालों का क्या जवाब होगा...। वो भी सुन लीजिए..
मोहे तो आवे हिचकी, मेरा दिल तोड़े हिचकी..
.छज्जे छज्जे मैं गई, मुछे मिला कुछ जूस,
मेरे बन्ने को सास मिली है, सब दुनिया में खड़ूस।
मोहे तो आवे हिचकी...
छज्जे छज्जे मैं गई, मुझे मिला जासूस।
मेरे बन्ने को ससुर मिला, सब दुनिया में कंजूस।
मोहे तो आवे हिचकी..
छज्जे छज्जे मैं गई, मुझे मिला एक दाना।
मेरे बन्ने को साला मिला है, सब दुनिया में सयाना।
मोहे तो आवे हिचकी...।
छज्जे छज्जे मैं गई मुझे मिली एक नाली,
मेरे बन्ने को साली मिली है, सब दुनिया में काली...।
मोहे तो आवे हिचकी....
मतलब कमी किसी की तरफ से नहीं रहती। सब मिलकर एक दूसरे का मज़ाक उड़ाते हैं और उड़वाते हैं, बुरा भी कोई नहीं मानता, बल्कि असलियत में ये गाने दो परिवारों को हल्के फुल्के माहौल में एक दूसरे को जानने, पहचानने और जुड़ने का मौका देते हैं।
ऊपर लिखे गाने तो उदाहरण भर हैं, लेकिन इन गानों की फेहरिस्त इतनी लम्बी है और तरबीयत इतनी विविधताओं से भरी हुई किआप हैरान रह जाएंगे। हर रस्म, हर रीत, हर रिश्तेदार से जुड़े गाने मौजूद हैं, फिर चाहे वो मेंहदी की रस्म हो या कंगना खिलाने की, लगुन चढ़कर आई हो या हल्दी लगाई जा रही हो, भात पहनाने की रीत हो या विदाई का समय, सास की टांग खींचनी हो या जेठानी की, नाना ससुर को गालियां देनी हों या फिर खुद दूल्हा या दुल्हन को..।
इन्हें सुनकर आप भी हमारे बुज़ुर्गो को सलाम ठोकेंगे जिन्होंने इन गानों को ईजाद किया और इन्हें अपने दिल की बातों को दूसरों तक पहुंचाने का ज़रिया बनाया। कई बार इन गीतों में आपको कुछ ऐसे शब्द और बातें भी मिल जाएंगे जिन्हें आज के ज़माने में नॉनवेज कहा जाता है। जी हां, अपने बड़ों के अंडरएस्टीमेट बिल्कुल ना करें। हमारे बड़े, बड़े चालू है, जिन्होंने इतनी चतुराई और नफासत से ऐसी-ऐसी बातों को इन गानों में पिरोया है कि किसी को बुरा भी नहीं लगता और चुटकी काट ली जाती है, वर्जनाएं तोड़ दी जाती हैं, प्रतिबंधित बातें और शब्द बयां कर दिएं जाते हैं और वो भी सबके बीच, सबके सामने।
लोकगीतों के इस अंदाज़ और लोकप्रियता का फायदा बॉलीवुड के गीतकारों और संगीतकारों ने भी जमकर उठाया है। अगर आपको याद हो तो कुछ सालों पहले राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म दिल्ली-6 का एक गाना बड़ा पसंद किया गया था- सास गाली देवे, देवर जी समझा लेवें, ससुराल गेंदा फूल..। गोविंदा और किमी काटकर पर फिल्माया गाना- 'बन्ने से बन्नी जयमाल पर झगड़ी, तू क्यों नहीं लाया रे सोने की तगड़ी...' हो या फिल्म दुश्मनी का गाना- 'बन्नों तेरी अखियां सुरमेदानी...' यह सारे गीत सीधे-सीधे इन्हीं बन्ना-बन्नियों से उठाकर फिल्मों में डाल दिए गए हैं और लोगों ने हमेशा इन्हें पसंद किया है।
इन गानों के बोलों से साफ झांकती है मिट्टी की महक, परिवार से जुड़ाव और पीढ़यों से चली आ रही परम्पराएं। एक खासियत यह भी है कि इन गीतों पर थिरकने के लिए किसी प्रेक्टिस की ज़रूरत भी नहीं है। इन गीतों पर तो वो भी नाच सकता है जिसे नाचना नहीं आता, बस पल्लू डाल कर अपना चेहरा पूरा ढक लें, और जैसे चाहें वैसे ठुमके लगाएं..।
तो अबकि बार आप जब किसी लेडीज़ संगीत या शादी समारोह में जाएं तो बजाय डीजे के एक बार अपनी दादी-नानी, चाची, ताई या मामी से उनका गीतों का खज़ाना खोलने की मनुहार करें, ढोलक बजवाएं और इन गीतों का रस ज़रूर लें।
यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं कुछ चर्चित बन्ना-बन्नी और लांगुरिया
गाड़ी दो घंटा है लेट, सीट पर सो जा लांगुरिया...
सीट पर सोजा लांगुरिया...नींद तू लेले लागुंरिया.. गाड़ी दो घंटा है लेट...
1-काने से काना मत कहियो, काना जाए रूठ..(2)
ज़रा हौले-हौले बोलियो, ज़रा धीरे-धीरे पूछियो..(2)
अरे कैसे गई तेरी फूट....
गाड़ी दो घंटा है लेट...
2-काले से काला मत कहियो, काला जाए रूठ..(2)
ज़रा हौले-हौले बोलियो, ज़रा धीरे-धीरे पूछियो..(2)
अरे किसने दिया है फूंक...
3-गाड़ी दो घंटा है लेट..
गूंगे से गूंगा मत कहियो, गूंगा जाए रूठ..(2)
ज़रा हौले-हौले बोलियो, ज़रा धीरे-धीरे पूछियो..(2)
बोलना कैसे गया तू भूल...
गाड़ी दो घंटा है लेट....
3-मूरख से मूरख मत कहियो, मूरख जाए रूठ (2)
ज़रा हौले-हौले बोलियो, ज़रा धीरे-धीरे पूछियो..(2)
बुद्धि कैसे हो गई ठूंठ...
गाड़ी दो घंटा है लेट, सीट पर सोजा लांगुरिया..
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लांगुरिया
दो -दो जोगनी के बीच अकेलो लागुंरिया...
अकेलो लागुंरिया, माथा फोड़े लागुंरिया...
बड़ी जोगनी यों कहे, कि पिक्चर देखन जाए...
और छोटी जोगनी यों कहे...बाज़ार घुमा दे मोय
किसकी सुने औ किसकी छोड़े, माथा फोड़े लागुंरिया...
दो दो जोगनी के बीच ...
बड़ी जोगनी यों कहे कपड़े सिलवाने जाएं...
और छोटी जोगनी यों कहे कि हार दिला दे मोय...
किसकी सुने औ किसकी छोड़े, माथा फोड़े लागुंरिया...
दो दो जोगनी के बीच ...
छोटी जोगनी यों कहें बरफी खाने का चाह,
और बड़ी जोगनी यों कहें कि गोलगप्पे खिला दे मोय...
किसकी सुने औ किसकी छोड़े, माथा फोड़े लागुंरिया...
दो दो जोगनी के बीच ...
बड़ी जोगनी यों कहें, मेरे संग चलेगा तू...
और छोटी जोगनी यों कहें, तेरे संग चलूंगी मैं...
किसकी सुने औ किसकी छोड़े, माथा फोड़े लागुंरिया...
दो दो जोगनी के बीच ...
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बन्ना-बन्नी
बन्ना बुलाए, बन्नी ना आए,आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी
मैं कैसे आऊं, ताऊ जी खड़े हैं, मैं कैसे आऊं चाचा जी खड़े हैं...
पायल मेरी बजनी रे.., अटरिया सूनी नहीं,
पायल को उतार के, पैरों मोजे डाल के, आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी...
बन्ना बुलाए, बन्नी ना आए,..
मैं कैसे आऊं मामा जी खड़े हैं, मैं कैसे आऊं मौसा जी खड़े हैं..
बैना मेरी बजनी रे, अटरिया सूनी नहीं,
बैने को उतार को, लंबा घूंघट काढ़ के, आजा प्यारी बन्नी रे.., अटरिया सूनी नहीं..
बन्ना बुलाए, बन्नी ना आए,..
मैं कैसे आऊं नाना जी खड़े हैं, मैं कैसे आऊं दादा जी खड़े हैं...
कंगन मेरे बजनी रे, अटरिया सूनी नहीं,
कंगन को उतार के, सर पे चूनर डार के, आजा प्यारी बन्नी रे... अटरिया सूनी पड़ी..
बन्ना बुलाए, बन्नी ना आए,..
मैं कैसे आऊं जीजाजी खड़े हैं, मैं कैसे आऊं भैया जी खड़े हैं...
झुमका मेरा बजनी रे, अटरिया सूनी नहीं
झुमके को उतार के, चुप्पा चुप्पी मार के...
आजा प्यारी बन्नी रे अटरिया सूनी पड़ी....
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खेल का गीत-
रात दिन हो रही है मरम्मत, सूख कर हो गया हूं छुआरा
मेरी बीवी तू जीती मैं हारा...।
बीवी ने मुझसे कचौड़ी मंगाई, कचौड़ी ना लाया तो मारा...
मेरी बीवी तू जीती मैं हारा...रात दिन...
बीवी ने मुझसे कपड़े धुलवाए, कपड़े ना सूखे तो झाड़ा..
मेरी बीवी तू जीती मैं हारा...रात दिन..
बीवी ने मुझसे खाना बनवाया, रोटी जली तो फटकारा..
मेरी बीवी तू जीती मैं हारा...रात दिन..
बीवी ने मुझसे पैर दवबाएं, नींद जो आई तो मारा..
मेरी बीवी तू जीती मैं हारा...रात दिन..
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