हर बदलाव के साक्षी हैं बुज़ुर्ग, इनकी तजुर्बेकार आंखों ने देश का इतिहास बनते देखा है और बदलते भी...
बुजुर्गों ने बयान किया देश का 90 साल का इतिहास..... जानिए कैसा था कल का भारत, पढ़िए उन सुनहरे दिनों की दास्तानें, देश विभाजन का दर्द, वो बदलाव जिन्होंने देश और देशवासियों को बदल दिया और कुछ आपबीती घटनाएं.... बच्चों की बातें तो आपने बहुत सुनी होंगी क्योंकि वो तो बड़ों को पकड़कर जबरदस्ती उन्हें अपनी बातें सुनाने में माहिर होते हैं और आप चाहें या ना चाहें, उनकी बातें सुननी ही पड़ती हैं। युवाओं के लिए अपनी बातें कहने, सुनने और उन पर बहस करने के लिए ऑफिस, क्लब और सोशल मीडिया उपलब्ध हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बुज़ुर्ग लोग किससे अपनी बातें कहते होंगे और क्या कहते होंगे। खास तौर से दिल्ली जैसे शहर में जहां अमूमन परिवार में सभी लोग काम करते हैं, ऐसे में अपनी नौकरियों से रिटायर हो चुके बुज़ुर्ग जो कि उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं जहां शरीर की कमज़ोरी उन्हें कोई काम भी नहीं करने देती, आपस में मिलकर क्या बातें करते होंगे और क्या कहते होंगे..। हमने इसके बारे में जानने की कोशिश की और कॉलोनी के पार्क में दोपहर देर तक नीम के पेड़ तले, तो कभी पार्क में ही बनी छतरी के नीचे बैठने वा...