गाय को क्यों ना दिया जाए राष्ट्रमाता का दर्जा..? तभी बच पाएगी भारत की आस्था और अर्थव्यवस्था की प्रतीक गौमाता
क्या आप
जानते हैं-
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सारे संसार में पाए जाने वाले सभी चौपायों और पशुओं में केवल
और केवल गाय ही ऐसा पशु है जिसके मल यानि गोबर को पवित्र माना जाता है और जिसका
पूजा में उपयोग होता है।
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भारतवर्ष में गाय को कभी भी पशु नहीं माना गया बल्कि हमेशा गाय
को गौमाता कहा जाता है।
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यह एक चिकित्सकीय तथ्य है कि मां के दूध के बाद गाय का दूध शिशुओं
के लिए सर्वोत्तम है जो ना सिर्फ उन्हें हर तरह के
रोगों और एलर्जी से बचाता है बल्कि बुद्धि के विकास में भी कारगर है।
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उन सभी नवजात शिशुओं को जो किसी वजह से मां के दूध के सेवन से
वंचित रह जाते हैं, डॉक्टर सुपाच्य, हल्का और सर्वोत्तम गाय का दूध पिलाने की सलाह
देते हैं।
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गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र को मिला कर बनने वाले
पंचगव्य से कब्ज़ से लेकर कैंसर तक लगभग हर रोग को ठीक किया जा सकता है और यह एक
प्रमाणित हकीकत है।
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पंचगव्य का प्रयोग हवन में भी किया जाता है। आर्युवेद में इसे
औषधि माना जाता है और हिन्दुओं के धार्मिक कार्य पंचगव्य के बिना पूरे नहीं होते।
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गाय के गोबर और मूत्र से सर्वोत्तम जैविक खाद बनती है जो ना
सिर्फ मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाती है बल्कि उसमें उगने वाली फसलों की गुणवत्ता
भी कई गुना बढ़ा देती है।
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गाय
का घी सर्वोत्तम होता है और
विशेष रूप
से नेत्रों के लिए
उपयोगी और बुद्धि बलदायक
होता है।
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गाय के बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतो की जुताई
करते हैं।
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गाय के गोबर में अत्यधिक मात्रा में मीथेन गैस होती है जिसे
बिजली और ताप के उत्पादन के साथ साथ पेट्रोल के स्थान पर गाड़ी चलाने के लिए ईंधन
के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
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वैदिक काल से ही सनातन धर्म में गाय का बहुत ज्यादा महत्व है।
भगवान श्रीकृष्ण के साथ गाय की पूजा की जाती है। पहले मनुष्य की समृद्धि की गणना
उसके यहां उपस्थित गोसंख्या से की जाती थी।
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गौमूत्र अर्क जिसे गौमियादी अर्क या गौमियादी सर्वरोग निवारिणी
कहा जाता है, एक प्रबल कैंसर विरोधी और एचआईवी विरोधी औषधि है जो शरीर के तीनों
दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करती है।
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देसी गाय की गर्दन के पास एक कूबड़ होता है। इस कूबड़ में एक
सूर्यकेतु नाड़ी होती है जो सूर्य की किरणों से निकलने वाली ऊर्जा को सोखती रहती
है, जिससे गाय
के शरीर में स्वर्ण उत्पन्न होता रहता है और जो सीधे गाय के दूध और मूत्र में
मिलता है। इसलिए गाय का दूध भी हल्का पीला रंग लिए होता है। यह स्वर्ण शरीर को
मजबूत करता है, आंतों
की रक्षा करता है और दिमाग भी तेज करता है इसलिए गाय का दूध सर्वोत्तम माना गया
है।
· भारत में गाय को देवी का
दर्जा प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का निवास है। यही कारण है कि दीवाली के दूसरे
दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों
आदि से श्रृंगार किया जाता है।
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गाय के गोबर को सुखाकर ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। आज
भी भारतवर्ष के ग्रामीण इलाकों में लाखों चूल्हे गाय के गोबर के उपलों से जलते
हैं।
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गाय के गोबर से लीपकर घर का पवित्रीकरण किया जाता है।
गौमूत्र से बनी कैंसर निरोधी दवा को मिला अमेरिकी पेटेंट
3 मार्च 2014 को बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक आरएसएस के सहयोगी संगठन द्वारा गौमूत्र से बनाई गई दवा को अमेरिकी पेटेंट हासिल हुआ है। कैंसर निरोधी इस दवा को एंटी-जीनोटॉक्सिटी गुणों की वजह से तीसरी बार यह पेटेंट मिला है। नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियर रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के कार्यकारी निदेशक तपन चक्रवर्ती के अनुसार संघ समर्थित संगठन गौ विज्ञान अनुसंधान केन्द्र और नीरी द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई दवा कामधेनु अर्क को यह पेटेंट हासिल हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि जहां भारत ने अपनी देसी गोमूत्र चिकित्सा में विश्वास खो दिया है, पश्चिमी देश इस चिकित्सा और इससे बनी दवाईयों का पेटेंट करा रहे हैं। अनुसंधान से पता चला है कि गौमूत्र एंटीबायोटिक, रोगाणुरोधी, फंगसरोधी और तपेदिक विरोधी है। गौमूत्र अर्क संक्रमण विरोधी और कैंसर विरोधी होने के साथ-साथ बायोएक्टिव अणुओं की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने वाला सिद्ध हो चुका है। गौमूत्र को दवा के रूप में प्रयोग करने के लिए अमेरिका में इसे तीन या अधिक पेटेंट दिए गए हैं (5616593, 6410059 और 5972382)।
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