मन चंगा तो स्वीमिंग पूल में गंगा...। मेट्रो शहरों की आधुनिक सोसाइटियों के आस-पास ना तो नदियां हैं, ना तालाब और ना ही पोखर... लेकिन अपने राज्य और गांव को छोड़कर यहां बस चुके पूरबनिवासी ज़रूर हैं। यह शायद उनका अपने राज्य, संस्कृति और त्यौहारों से प्यार ही हैं, कि सुविधाओं के अभाव में भी लोग छठ पर्व मनाने और सूर्य भगवान को अर्घ्य देने का साधन ढूंढ ही लेते हैं। कहते हैं ना, जहां चाह, वहां राह...। यह बिहार के रहवासियों का छठ पर्व के प्रति उत्साह ही है कि सोसाइटी के स्वीमिंग पूल को ही पवित्र पोखर का रूप दे दिया गया । छठ पर्व मनाते लोग यहां स्वीमिंग पूल में खड़े होकर अस्ताचलगामी और उदयमान सूर्य को अर्घ्य देते नज़र आए। आप भी इन रंगीन तस्वीरों के ज़रिए स्वीमिंग पूल में मनते छठ उत्सव का नज़ारा लीजिए...
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और स्वीमिंग पूल पर लग गया छठ का मेला
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नहाय खाय और खरना के बाद अस्ताचलगामी सूर्य भगवान को अर्घ्य देने पहुंचे भक्त
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ढोल-नगाड़े का इंतज़ाम, ताकि पूजा में कोई कमी ना रह जाए |
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घर के बढ़े-बूढ़ों की कुशल देखरेख में सम्पन्न होती छठ पूजा
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मौसमी फलों, केले, दीपक, नारियल, ठेकुएं और अन्य पूजा के सामानों से सजे सूपा
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कुछ लोग इस तरह भी सूप सजा कर लाए |
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स्वीमिंग पूल के किनारे पूजा की तैयारी पूरी
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पूरी श्रद्धा के साथ अर्ध्य देती व्रती महिला
और यहीं गाए गए छठ मैया के गीत
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बच्चे भी खुश और बड़े भी
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अर्ध्य सम्पन्न |
सूपा वापस ले जाते पुरुष सदस्य
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