बेटा पैदा करो, तो एड्स होने के बावजूद स्वीकार्य हो...
एड्स होने पर पति और बेटी समेत बहू को घर से निकाला बहू को बेटा होने के बाद ससुराल वाले खुद परिवार में वापस ले गए भारतीय समाज चाहे कितना ही आगे क्यों ना बढ़ जाए, कितना ही आधुनिक क्यों ना बन जाए, लेकिन वंश चलाने वाले बेटे की चाह आज भी दहेज लेकर दूसरे घर जाने वाली बेटी की चाह से कहीं ज्यादा और प्रबल है। इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं देहली नेटवर्क ऑप पॉज़िटिव पीपल नामक समाज सेवी संस्था में अच्छे पद पर कार्यरत श्रीमती ममता गौड़ (बदला हुआ नाम)। एचआईवी पॉज़िटिव ममता फिलहाल एक आत्मविश्वास और साहस से भरी हई महिला हैं, लेकिन उनके इस स्थिति में पहुंचने का सफर काफी दर्दभरा और कठिन है। ममता ने अपने पति के साथ प्रेमविवाह किया था। शादी के बाद एक लड़की हुई और दो साल बाद ही ममता दोबारा गर्भवती हुई। इस बार तीन महीने में जब डॉक्टर ने ममता का टेस्ट किया तो पता चला कि वो एचआईवी पॉजिटिव हैँ। ममता बेहद डर गईं, क्योंकि इस बीमारी में सीधे लड़कियों के चरित्र पर बात आती है। ममता ने डर के कारण अपने पति को भी इस बारे में नहीं बताया। कुछ समय में जब उनके पति ...