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Showing posts from July, 2013

बेटा पैदा करो, तो एड्स होने के बावजूद स्वीकार्य हो...

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एड्स होने पर पति और बेटी समेत बहू को घर से निकाला बहू को बेटा होने के बाद ससुराल वाले खुद परिवार में वापस ले गए भारतीय समाज चाहे कितना ही आगे क्यों ना बढ़ जाए, कितना ही आधुनिक क्यों ना बन जाए, लेकिन वंश चलाने वाले बेटे की चाह आज भी दहेज लेकर दूसरे घर जाने वाली बेटी की चाह से कहीं ज्यादा और प्रबल है। इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं देहली नेटवर्क ऑप पॉज़िटिव पीपल नामक समाज सेवी संस्था में अच्छे पद पर कार्यरत श्रीमती ममता गौड़ (बदला हुआ नाम)। एचआईवी पॉज़िटिव ममता फिलहाल एक आत्मविश्वास और साहस से भरी हई महिला हैं, लेकिन उनके इस स्थिति में पहुंचने का सफर काफी दर्दभरा और कठिन है। ममता ने अपने पति के साथ प्रेमविवाह किया था। शादी के बाद एक लड़की हुई और दो साल बाद ही ममता दोबारा गर्भवती हुई। इस बार तीन महीने में जब डॉक्टर ने ममता का टेस्ट किया तो पता चला कि वो एचआईवी पॉजिटिव हैँ। ममता बेहद डर गईं, क्योंकि इस बीमारी में सीधे लड़कियों के चरित्र पर बात आती है।  ममता ने डर के कारण अपने पति को भी इस बारे में नहीं बताया। कुछ समय में जब उनके पति ...

कुड़ियां ही नहीं दिल्ली के कुड़े भी टैनिंग से बचने के लिए पहने रहे हैं दस्ताने

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दिल्ली में गर्मी पूरी तेज़ी पर है, और उतनी ही तेज़ी से लोकप्रिय हो रही हैं कड़कती धूप में दिल्ली वालो को सांवला होने से बचाने वाली पहरनें। और इनमें सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं, हाथ के लम्बे सूती दस्ताने। और आजकर जो इन्हें सबसे ज्यादा खरीद रहे हैं वो हैं दिल्ली के लड़के।  पहले तो केवल कुड़ियां ही आपको सिर पर दुपट्टा लपेटे और हाथों में दस्ताने पहन कर तेज़ धूप में स्कूटी चलाती दिखती होंगी, लेकिन अब ज़माना बदल गया है जनाब, दिल्ली के कुड़े भी धूप के सांवलेपन- जिसे हम टैनिंग कहते हैं, से बचने के लिए सिर से पांव तक खुद को ढके हुए दिखने लगे हैं। यह लोग हेलमेट तो पहनते ही हैं, लेकिन साथ ही हेलमेट के नीचे चेहरे पर रूमाल भी बांध लिया जाता है ताकि हेलमेट के शीशे से होकर धूप इन तक ना पहुंच सके और साथ में दोनों हाथों में होते हैं सूती दस्ताने ताकि हाथों का रंग भी सांवला होने से बचा रहे।  यह देखिए कुछ इस तरह का नज़ारा हमने सराय काले खां पर भी देखा जहां बाइक सवार लड़के अपने हाथों में दस्ताने पहन कर चल रहे थे। र...

हरियाणा सरकार के विज्ञापनों में शहीद ऊधम सिंह के नाम की स्पेलिंग ग़लत

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यह बेहद शर्म की बात है कि एक तरफ तो हम शहीद ऊधम सिंह जी के शहादत को याद करने के लिए उन्हें श्रद्धाजंलि दे रहे हैं, दूसरी तरफ हम उनका नाम तक ठीक से नहीं लिख सकते। जी हां आप खुद देख सकते हैं। शहीद ऊधम सिंह जी के शहीदी दिवस पर आज हरियाणा सरकार के सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा जो विज्ञापन  हिन्दी समाचार पत्रों में छपवाया गया है, उसमें शहीद ऊधम सिंह जी के नाम की वर्तनी गलत है।    ऊधम में जहां ध होना चाहिए था वहां दूसरा अक्षर इस्तमाल किया गया है।  यह है शहीद ऊधम सिंह के नाम की सही वर्तनी            यह शहीद का अपमान तो है ही, साथ  ही हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का भी अपमान है जिसका प्रयोग करके एक शहीद का नाम ग़लत लिखा जा रहा हैं।     सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि यह ग़लती एक सरकारी विभाग (हरियाणा के सूचना,जनसम्पर्क एवं सांस्कृतिक विभाग) द्वारा की गई हैं। इतने बड़े विज्ञापन में जिसको श्रद्धांजलि दी जा रही है, अगर उसी का नाम ग़लत...

शिफ्टिंग के लिए मूवर्स और पैकर्स को सामान सौंप रहे हैं..? ज़रा संभल कर, कहीं ये आपको लूट ना लें

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अगर आप अपना घर शिफ्ट करने के काम को आसान बनाने के लिए किसी मूवर्स एंड पैकर्स कंपनी की सेवाएं लेने की सोच रहे हैं, तो ज़रा अक्लमंदी से काम लीजिए। अपने मूवर्स और पैकर्स को चुनने और उनसे सेवाएं लेते समय आपने अगर सावधानी नहीं बरती तो कहीं ऐसा ना हो कि आसानी के चक्कर में आप परेशानी में पड़ जाए। पैसे भी गंवाए, सामान से भी हाथ धोना पड़े और मन की शांति भी जाए।        जी हां ऐसा ही कुछ अनुभव रहा गुड़गांव में जैनपैक्ट में काम करने वाले भास्कर अग्रवाल का। कंपनी के काम से तीन साल के लिए विदेश जा रहे भास्कर ने जाने से पहले जब किराए का घर छोड़कर अपने पैतृक निवास आगरा में सामान शिफ्ट करने की सोची तो उन्हें भी इसके लिए मूवर्स और पैकर्स की सुविधाएं लेना आसान लगा। जस्ट डायल वेबसाइट से तिरुपति बालाजी मूवर्स एंड पैकर्स (पता- प्लॉट नं 1088, सेक्टर 28, द्वारका, फोन- 9313356600 / 9311405834 / 9990673021 / 011-32653508)का नंबर मिला और साढ़े आठ हज़ार में बात फाइनल हो गई...

सौंधी खुश्बू सा रूप सजा है और मन की गहराई में मिट्टी की बू-बांस भी है...

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पीले घाघरे में सोमाली और उसकी भावज कनुआ ना बहुत साज सिंगार, ना ब्यूटी पार्लर के चक्कर और ना ही जिम या योगा क्लासेज की भागदौड़, और हां ना ही डिज़ाइनर कपड़े... यह गांव की गोरियां हैं, रंग रंगीले राजस्थान के गांव की गोरियां। भारत की देसी खूबसूरती इन गोरियों में फिर भी छलकती है।  पतली कमर, कमर पर कसा खूबसूरत गोटे वाला पीले फूलों का घाघरा, उस पर कमर में स्टायल से बांधी गई गोटे पट्टी वाली गुलाबी चुनर जिसका पल्लू सिर पर भी ढका हुआ है.. तिस पर आत्मसम्मान से भरा चेहरा, चेहरे पर खिलती विश्वास भरी मुस्कान, सुतवां नाक, नाक में नथनी  और बड़ी लाल माथे की बिंदिया... यह रूप है राजस्थान की सोमाली का। और यह जो गोटे वाले धानी घाघरे  और गुलाबी रंग की चूनर ओढ़े शरमाती हुई गोरी सोमाली के बगल में खड़ी है वो है कनुआ, सोमाली की भावज.... अब आप सोच रहे होंगे कि इस छोटी सी सोमाली और कनुआ में खबर कहां है, क्या है और मैं क्यों इनकी सुंदरता की तारीफ के पुल बांधे जा रही हूं... तो इसकी वजह...

एड्स रोगियों की शादी के लिए ब्यूरो, एचआईवी पॉजिटिव लोग भी जी रहे हैं पॉजिटिव शादीशुदा ज़िंदगी

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एक शादीशुदा जोड़े के साथ मिस्टर प्रसाद (बांयी ओर से पहले व्यक्ति) हैदराबाद की सोनिया फिलहाल अपने पति अच्युत के साथ एक सामान्य ज़िंदगी जी रही है। दोनों अपनी ज़िंदगी में बहुत खुश हैं। उनकी शादी को एक साल हो गया है, दोनों बेहद प्यार से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं और अब अपने परिवार में एक नन्हा महमान लाने की भी सोच रहे हैं। सिर्फ दो साल पहले तक यह सब सपना सा लगता था.... उसकी पहली शादी को सिर्फ 6 महीने हुए थे और जब वह गर्भवती होने के तीन महीने बाद पहली बार डॉक्टर से अपना चेकअप कराने गई तो मानो आसमान ही टूट कर गिर पड़ा। सोनिया एचआईवी पॉज़िटिव निकली। पति को पता चला तो उसने ना सिर्फ ज़िद करके बच्चा गिरवा दिया बल्कि कुछ ही समय में सोनिया को तलाक भी दे दिया। अपने घर और समाज में लोक लाज के डर से सोनिया बेहद डरी, सहमी और उपेक्षित ज़िदंगी जी रही थी। मां-बाप ने उसका घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था। ज़िदंगी नर्क बन गई थी और अचानक एक दिन सब कुछ बदल गया। उसने हैदराबाद स्थित एचआईवी मैरिज ब...

यहां औरत की चिता तभी जलती है जब मायके वाले लकड़ियों के पैसे दे दें...

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 --आगरा के बनिया समुदाय में प्रचलित है ये कुप्रथा   -शादी के बाद अगर बूढ़ी होकर भी औरत की मौत हो तो चिता के लिए लकड़ी मायके वालों को ही देनी पड़ती है आगरे की निवासी मुन्नी अग्रवाल को समझ नहीं आ रहा कि ननद की चिता तैयार करने के लिए लकड़िया कैसे खरीदें। जल बोर्ड से सेवानिवृत्त उनके पति की पेंशन से हर महीने आठ हज़ार रुपए आते हैं। महंगाई के इस ज़माने में दो प्राणियों के लिए घर का खर्च ही खींचतान कर चलता है, उस पर उनकी ननद के स्वर्गवास की खबर आ गई है और अब उसके दाह संस्कार के लिए लकड़ियों का खर्चा उठाना हैं, अर्थी पर डालने के लिए साड़ी लेनी है और इसके बाद ननद के ससुराल वालों के खाने-पीने का भी इंतज़ाम करना है, जिसमें लगभग दो-ढाई हज़ार का खर्चा आ जाएगा। हाथ भले ही तंग है पर मना भी नहीं कर सकते, आखिर लोग क्या कहेंगे .., और फिर पुरखों की बनाई रीत है कि लड़की चाहे वृद्धावस्था में ही क्यों ना मरे, उसके दाह संस्कार के लिए खर्चा मायके वाले ही वहन करते हैं इसलिए यह तो करना ही है। बात सुनने में और पढ़ने में शायद अजीब लगे, लेकिन अग...

पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाए जा रहे हैं धोनी, तेंदुलकर, एश्वर्या राय, सुष्मिता सेन और अमिताभ बच्चन

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सामान्य ज्ञान की किताबों का स्वरूप बदला समकालीन खिलाड़ियों, अभिनेताओं और कलाकारों को अमर बना रही हैं पाठ्य पुस्तकें मैंने जब अपने तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले बेटे से भारत की तीन महान हस्तियों के नाम पूछे तो उसका जवाब था- विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर और एम एस धोनी। चौंकिए मत, आज की सच्चाई यहीं हैं। आज के प्राथमिक कक्षाओं के छात्र सामान्य ज्ञान की किताबों में भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों, महान गुरुओं या अविष्कारकों के बारे में नहीं पढ़ रहे बल्कि समकालीन खिलाड़ियों, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों और कलाकारों के बारे में पढ़ और सीख रहे हैं। एक समय वह था जब हम सामान्य ज्ञान की किताबों में विभिन्न राज्यों, देशो की राजधानियों, भाषाओं, झंडो, वहां की प्रमुख फसलों, ऐतिहासिक स्थलों, एतिहासक प्रतीकों आदि के बारे में पढ़ते थे। सामान्य ज्ञान बढ़ाने का मतलब देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों, साहित्यकारों, कलाकारों, विश्व के सात अजूबों आदि के बारे में जानकारी होना माना जाता था। देश-विदेश में हुई उन प्रमुख घटनाओं के बारे में पढ़ाया जाता था जो कि विका...

चॉकलेट, कैलोग्स और कोल्डड्रिंक्स में मिले कीड़े, बिस्कुट और जैम में फफूंद

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   आप कोका कोला और फ्रूटी बड़े मज़े से पीते हैं। कैडबरी की चॉकलेट बहुत स्वाद ले कर खाते हैं, अपने बच्चों को टाइगर और ब्रिटेनिया के बिस्कुट खिलाते हैं और कैलोग्स कॉर्न फ्लेक्स या व्हीट फ्लेक्स आपके लिए सुबह का सबसे सेहत भरा  नाश्ता हैं, तो ज़रा गौर फरमाईए, यह रिपोर्ट आपके लिए आंख खोलने वाली है। इन सभी पैक्ड और डिब्बा बंद चीज़ों में जीवित कीड़े, कीट, तम्बाकू के पैकेट्स और फंगस मिल रही है।  नेट पर कन्ज़्युमर फोरम वेबसाइट (http://www.consumerforums.in) पर इस तरह की इसी वर्ष अब तक 14 शिकायते दर्ज की जा चुकी हैं। जिनमें पूरे भारत से लोगों ने इन विभिन्न खाद्य पदार्थों में की़ड़ों से लेकर फंगस, कूड़ा, कांच और स्टेपलर पिन मिलने जैसी शिकायते दर्ज कराई हैं। आपक यह भा बता दें कि इन शिकायतों का ना तो अभी तक उपभोक्ता फोरम में निपटारा हुआ है और ना ही, सम्बन्धित कंपनी ने इस संबंध में कोई कार्यवाही की है। हमने जब इनमें से कुछ लोगों से संपर्क स्थापित किया तो इन्हों...

सरलीकरण के नाम पर गलत लिखी और पढ़ी जा रही है हिन्दी

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           ग़लत हिन्दी में लिखी हुई सूचनाएं, मात्राओं की गलती से भरे हुए हिन्दी के शब्द वगैरह तो आपने काफी पढ़े होंगे और उन्हें पढ़कर हंसे भी होंगे, लेकिन यहां हम आम आदमी द्वारा लिखी हुई हिन्दी की बात नहीं कर रहे। यहां स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली हिन्दी की किताबों की बात हो रही है जिनमें हिन्दी लगातार गलत छप रही है। आधे शब्दों की जगह बिन्दी का प्रयोग, अक्षरों में ऊपर और नीचे आधे र का ग़लत प्रयोग, मात्राओं का गलत इस्तमाल वगैरह आजकल हिन्दी का पाठ्य पुस्तकों में जमकर हो रहा है। और यह सब चल रहा है सरलीकरण के नाम पर।  जी हां जब पाठ्य पुस्तकों के एक बड़े प्रकाशक से हमने इस विषय पर बात की तो जनाब का जवाब था कि यह सब इसलिए किया जा रहा ताकि क्लिष्ट हिन्दी भाषा को थोड़ा सरल बनाया जा सके और छात्रो को पढ़ने और याद करने में आसानी हो। अब यह सरलीकरण कैसा है, ज़रा देखिए- मुर्गा- मुरगा बन गया है और बर्तन- बरतन, सर्दी सरदी हो गई है गर्मी गरमी, दोबारा दुबारा हो गया है, कलयु...

आत्महत्या पर आमादा है भारत के विवाहित पुरुष और गृहणियां, रास आ रहा है फांसी का फन्दा

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अब तक किसानों और छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले देश को दहलाते रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि आत्महत्या करने वालों में सबसे आगे विवाहित पुरुष और स्त्रियां हैं। देश के   शादीशुदा जोड़ो को जिन्दगी रास नहीं आ रही।   आर्थिक और सामाजिक तनाव से जूझते विवाहित पुरुष और भावनात्मक परेशानियों से घिरी भारतीय गृहणियां फांसी के फन्दे और ज़हर की बोतलों   में अपनी मुश्किलों के हल ढूंढ रहे हैं......   यह   हम नहीं कह रहे बल्कि   राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी)   के आंकड़े यह तथ्य बयां कर रहे हैं कि वैवाहिक बंधन में बंधे हिन्दुस्तानी लोग किस तरह   अपना ही जीवन लेने पर तुले हुए हैं।    एनसीआरबी की अधिकृत वेबसाइट पर पिछले साल   देशभर में हुई आत्महत्याओं के आंकड़े हैं जो काफी चौंकाने वाले हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि साल 2012 में   देश में कुल 1, 35,445 लोगों ने अपनी जान दी यानि हर एक घंटे में 15 लोगों ने आत्महत्या की और इनमें 71.6 फीसदी   विवाहित पुरुष थे जबकि 67.9 फीसदी   विवाहित महिलाएं थी।   यानि ...

जिया, जेल और ज़िंदगी की परतें खोलता है सूरज पंचोली का साक्षात्कार

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अभिनेत्री जिया ख़ान दो बार पहले भी आत्महत्या की कोशिश कर चुकी थी। सूरज माता-पिता के होते हुए भी चार कुत्तो के साथ अकेले रहते हैं और आर्थर रोड जेल में कैदियों द्वारा किशोरों का शारीरिक शोषण किया जाता है... यह सभी वो चौंकाने वाले तथ्य हैं जिनका खुलासा सूरज पंचोली के एक साक्षात्कार में हुआ है। जी हां, अभिनेत्री ज़रीना बहाव और अभिनेता आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली, जिन्हें अभिनेत्री जिया खान को आत्महत्या के लिए उकसाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था।    23 दिनों तक जेल में रहने के बाद ज़मानत पर रिहा हुए इस 22 वर्षीय युवा ने जब टाइम्स ऑफ इंडिया को अपना पहला साक्षात्कार दिया तो बेहद बेबाकी के साथ जिया खान से अपने संबंधो से लेकर जेल में गुज़ारे अपने दिनों और अपने परिवार के बारे में भी खुलकर बातें की। सूरज पंचोली के इस साक्षात्कार ने बहुत सी ऐसी बातों पर प्रकाश डाला है जिससे सभी पूरी तरह अनजान थे फिर चाहे वो जिया खान की ज़ाती ज़िंदगी हो या खुद सूरज पंचोली का निजी जीवन... इस साक्षात्कार से जो बातें नि...

तस्वीरों में सिमटा मेघों का घर... मेघालय

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इस वर्ष मई माह में दिल्ली से लगभग 1500 किमी दूर उत्तर पूर्व में मेघालय भ्रमण पर जाने का मौका मिला। मेघों के इस खूबसूरत घर में प्रकृति की सुंदरता कदम-कदम पर छिटकी पड़ी है। राजधानी ट्रेन में 27 घंटे के सफर के बाद हम गुवाहटी पहुंचे और फिर वहां से प्रसिद्ध कामाख्या देवी के दर्शन के बाद गाड़ी लेकर शिलांग, मेघालय के लिए निकले जो यहां से लगभग 100 किमी दूर है। तीन घंटे के सफर के बाद शिलांग पहुंचकर मेघों से घिरे पहाड़ो और इन विशालकाय पहाड़ों पर जड़े जमाए हरे-भरे पेड़ों को देखा तो सारी थकान उतर गई। लापरवाही से बिखरी पड़ी इस बेजोड़ खूबसूरती को तस्वीरों में कैद कर लाएं हैं हम। इन तस्वीरों से आप भी मेघालय की सैर कीजिए। दूर तक जहां नज़र जाएं अठखेलियां करते हुए बादल दिखते हैं यहां। शायद इसीलिए इसका नाम मेघों का घर रखा गया है। आसाम की ब्रह्मपुत्र घाटी के उत्तर पूर्व और बांग्लादेश के दक्षिण पश्चिम में बसा मेघालय इतना खूबसूरत है कि एक बार यहां जाए तो वापस आने का मन नहीं करता। समुद्र तट से 1965 मीटर ...