सौंधी खुश्बू सा रूप सजा है और मन की गहराई में मिट्टी की बू-बांस भी है...
पीले घाघरे में सोमाली और उसकी भावज कनुआ |
और बड़ी लाल माथे की बिंदिया... यह रूप है राजस्थान की सोमाली का। और यह जो गोटे वाले धानी घाघरे और गुलाबी रंग की चूनर ओढ़े शरमाती हुई गोरी सोमाली के बगल में खड़ी है वो है कनुआ, सोमाली की भावज....
अब आप सोच रहे होंगे कि इस छोटी सी सोमाली और कनुआ में खबर कहां है, क्या है और मैं क्यों इनकी सुंदरता की तारीफ के पुल बांधे जा रही हूं... तो इसकी वजह है सोमाली का आत्मसम्मान और वो विशुद्ध देसी खूबसूरती जिसके आज मुझे दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट में दर्शन हुए।
बात बस इतनी सी थी कि आज सोमवार को सरोजिनी नगर के सोमवार बाज़ार में जब मैं खरीददारी करने पहुंची हुई थी तो घूमते हुए मेरी नज़र सोमाली की छोटी सी राजस्थानी गहनों की रेहड़ी पर पड़ी।जिस पर सोमाली अपनी मां ढपली और भावज कनुआ के साथ ग्राहकों को सामान दिखाने में लगी थी। मुझे भी एक माला पसंद आई और मैंने मोल पूछा। सोमाली ने 200 रूपए की माला बताई और मैंने बनिया स्वभाव के फलस्वरूप मोलभाव करके 150 रुपए में बात तय कर ली। मैंने सोमाली को पैसे दिए, माला ली और चल दी।
सोमाली की गहनों की रेहड़ी-पट्टी |
मैं बस कुछ ही दूर पहुंची होंगी कि पीछे से किसी की आवाज़ सुनाई दी... मैडम, मैडम...मैंने मुड़ कर देखा तो सोमाली और कनुआ दौड़े आ रहीं थी। पास आ कर कनुआ ने मेरे हाथ में 50 रुपए पकड़ाए और बोली मैडम आप पैसे वापस लेना भूल गईं थी। मैंने हैरानी से देखा, हंसते हुए कहा...अरे मैं भूल गई थी तो तुम रख लेती, तुम्हारा फायदा हो रहा था, वैसे भी मैंने 50 रुपए कम कर दिए थे... और सोमाली गर्व से बोली..."ऐसे कैसे रख लेते मैडम, चीज बेचते हैं, हेराफेरी थोड़े ही करते हैं, फालतू पैसे हमें ना फलेंगे"
अपनी मां ढपली के साथ सोमाली |
सोमाली के बारे में जानने की भी इच्छा हुई। जब पूछा तो उसने बताया कि अपने पूरे परिवार के साथ राजस्थान से आई है वो और फिलहाल मदनपुर खादर में रहती है। यहां मां ढपली और भावज के साथ वो गहने बेचती है और उसका आदमी, भाई और पापा लाजपत नगर में रेहड़ी पट्टी लगाते हैं। जब मैंने सोमाली से तस्वीर खिंचवाने को कहा तो देखिए कैसे फट से कैमरे के सामने खड़ी हो गई। अपनी भावज कनुआ, जो बहुत शरमा रही थी को भी खड़ा कर लिया। एक फोटो अपनी मां के साथ भी खिंचवाई और हां जब मैं चलने लगी तो यह कहना भी नहीं भूली कि मैडम फोटो तो दिखा दो। बात छोटी सी है लेकिन इस छोटी सी बात ने आज मुझे बहुत कुछ दिखाया, सिखाया और भारत की सुंदरता से मिलवाया भी।
सोमाली को मैंने गौर से देखा और वो मुझे वास्तव में भारत का सच्चा प्रतिनिधित्व करती महसूस हुई। सुन्दर, सजीला, गर्व और स्वाभिमान से भरा भारत, ईमानदार भारत, सिर पर पल्लू ओढ़े लेकिन सिर ताने खड़ा भारत..ye hai Indian Beauty jise aaj tune darshaya hai I salute both..Bahut khoob chitra..
ReplyDeleteyou are right dear. Even I liked her very much. सोमाली में इतना नखरा और स्वाभिमान भरा था कि क्या बताऊं। गहने बेचने का काम भी वो ऐसे गर्व से कर रही थी जैसे करोड़ो के सामान का सौदा कर रही हो।
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