आत्महत्या पर आमादा है भारत के विवाहित पुरुष और गृहणियां, रास आ रहा है फांसी का फन्दा

एनसीआरबी की अधिकृत वेबसाइट पर पिछले साल देशभर में हुई आत्महत्याओं के आंकड़े हैं जो काफी चौंकाने वाले हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि साल 2012 में देश में कुल 1, 35,445 लोगों ने अपनी जान दी यानि हर एक घंटे में 15 लोगों ने आत्महत्या की और इनमें 71.6 फीसदी विवाहित पुरुष थे जबकि 67.9 फीसदी विवाहित महिलाएं थी। यानि अगर संयुक्त आंकड़ा लिया जाए तो कुल आत्महत्या करने वाले लोगों में से 70 फीसदी विवाहित लोग थे और हर 6 आत्महत्या करने वालों में से एक गृहिणी थी।
पुरूषों ने जहां सामाजिक और आर्थिक परेशानियों के कारण अपनी जान ली वहीं महिलाओं ने निजी मुश्किलों और भावातिरेक में आकर आत्महत्या की। पारिवारिक परेशानियों और बीमारी के चलते भी लगभग 46 प्रतिशत लोगों ने अपनी जान ली। इतना ही नहीं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बीते साल देश में पूरे परिवार समेत या कई लोगों द्वारा एक साथ आत्महत्या करने के भी 109 मामले दर्ज हुए हैं जिनमें से सबसे ज्यादा 74 मामले राजस्थान में हुए हैं।
आंकड़े यह स्पष्ट तौर पर दिखाते हैं कि आत्महत्या करने में विवाहित पुरुष और महिलाएं सबसे आगे हैं लेकिन और विस्तार से देखें तो पता चलता है कि छात्र-छात्राएं और बच्चे भी खुद अपनी जान लेने में पीछे नहीं हैं। देश में हुई कुल आत्महत्याओं में 5.5 प्रतिशत विद्यार्थियों द्वारा की गईं हैं जिनमें 14 साल की उम्र तक के बच्चे भी शामिल हैं।
एक और चौंकाने वाली बात जो यह तथ्य दिखाते हैं वो यह है कि पिछले साल लोगों द्वारा आदर्शवादिता या किसी हीरो को पूजने के कारण जान देने के मामलों में आश्चर्यजनक वृद्धि (329.3 प्रतिशत) हुई है।
यहीं नहीं यह आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या करने वालों में शिक्षित वर्ग के लोग ज्यादा (23 फीसदी) थे और अशिक्षित कम (19.5 फीसदी)। और खुद को मारने वाले लोगों में 37 फीसदी वो लोग थे जो खुद अपना व्यवसाय चला रहे थे जबकि सिर्फ 7.4 ऐसे थे जो बेरोज़गार थे।
जान लेने के लिए सबसे कारगर है फांसी का फन्दा
अगर आत्महत्या के तरीकों पर गौर करे तो पता चलता है कि बीते सालों में आत्महत्या करने वाले लोगों के बीच फांसी का फन्दा तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है। पिछले तीन सालों से फांसी लगाकर मरने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। साल 2012 में भी आत्महत्या करने वाले 37 प्रतिशत लोगों ने फांसी पर झूल कर अपनी जान दी। फांसी के बाद जान देने का दूसरा सबसे कारगर तरीका है ज़हर खाना। जी हां पिछले साल 29.1 प्रतिशत लोगों ने मरने के लिए ज़हर खाया।
कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य-
- तमिलनाडु में देश में सबसे ज्यादा 12.5 प्रतिशत लोगों ने आत्महत्या की।
- 2012 में पूरे देश में 2738 बच्चों ने आत्महत्या की जिसमें पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उड़ीसा में आत्महत्या करने वाले बच्चों का प्रतिशत सबसे ज्यादा (55.5) रहा।
- उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में आत्महत्या के मामलों में आश्चर्यजनक 105.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। जहां 2011 में यहां 35 आत्महत्या के मामले दर्ज हुए थे वहीं 2012 में 72 आत्महत्या के मामले सामने आएं हैं।
- पिछले साल 214 पुलिसवालों ने आत्महत्या की जिनमें से सबसे ज्याद मरने वाले 45 से 55 आयु वर्ग के थे।
- आत्महत्या करने वाले लोगों में सरकारी कर्मचारियों का प्रतिशत सबसे कम- सिर्फ डेढ़ प्रतिशत रहा।
Comments
Post a Comment