सकारात्मक सोच, ऊंचे सपनों और बुलंद हौसलों का नाम है "मलाला"
अब तक कई बार मलाला का नाम सुना था लेकिन कभी ठीक से जानने की कोशिश नहीं की कि क्यों मलाला युसुफज़ई इतनी मशहूर हो गई, क्यों दुनिया भर में लोग उसकी ज़िंदगी की दुआएं मांग रहे हैं और क्यों उसके नाम से पुरुस्कारों की घोषणा की जा रही हैं.... सिर्फ कुछ ऐसा ही पता था कि उसने तालिबानी हुक्म के खिलाफ लड़कियों के स्कूल जाने का अभियान चलाया था जिसके बाद तालिबानी आतंकियों ने उसे गोली मार दी और बहुत मुश्किल के बाद उसे बचाया जा सका। आज इत्तिफाक से सीएनएन पर उसका इंटरव्यू देखने को मिला। तब पहली बार सोलह साल की इस जीवट किशोरी को देखा, सुना तो जाना कि कौन और "क्या" है मलाला. ..। पहली बार जाना कि हिम्मत का उम्र से कोई वास्ता नहीं। हिम्मत कभी भी आ सकती है और कहीं भी आ सकती है। संगीनों और तालिबानी आतंक के साये में एक किशोरी के पढ़ने का जुनून जीत गया। गोली खाकर भी वो ज़िदा रही और आज मिसाल बनकर तमाम दुनिया को हिम्मत दे रही है। इस सोलह साल की लड़की के आत्मविश्वास से लबरेज चेहरे पर मुस्कान थी और वो हर सवाल का बहुत शांति, मुस्कुराहट और विश्वास के साथ जवाब दे रही थी। मलाला से जब पूछा गया कि क्...