रिश्ते

"आज चाहे कुछ हो जाए, मैं बात नहीं करूंगी। हमेशा मैं ही क्यों शुरूआत करूं.. यह कोई बात है क्या..? राज अपनी गलती कभी नहीं मानते। मैं ही हमेशा क्यों झुकती रहूं। अब ऐसा नहीं होगा। मैं महीने भर तक बात नहीं करूंगी। पहले उनको मुझसे सॉरी कहना पड़ेगा। आज भी बिना बात ऐंठ दिखा रहे थे। मैं हर बार चुप रहती हूं ना, इसलिए। अब कि बार मैं भी दिखा दूंगी कि मुझे भी गुस्सा आता है। मेरे हाथ का खाना पसंद नहीं है ना, तीन दिन तक खाना नहीं दूंगी तो होश ठिकाने आ जाएगा..."

सुबह ऑफिस जाते समय राज से हुई लड़ाई याद कर-करके सीमा का गुस्सा सातंवे आसमान पर था। सुबकते हुए सो गई।
शाम 7 बजे--- ट्रिंग-ट्रिंग...
सीमा गुस्से में भनभनाती हुई उठी " आ गए, अब सीधी सीधी बात करती हूं... ऐसे नहीं चलेगा"... दरवाज़ा खोला..
सामने राज खड़े थे। आंखे चार हुई। राज मुस्कुराए.. पिक्चर देखने चलोगी क्या?
और सीमा का सारा गुस्सा काफूर... पहले खाना खा लो फिर चलते हैं...

Comments

Popular posts from this blog

सृष्टि से पहले सत् नहीं था, असत् भी नहीं, छिपा था क्या, कहां किसने ढका था....: ऋगवेद के सूक्तों का हिन्दी अनुवाद है यह अमर गीत

क्या आपने बन्ना-बन्नी, लांगुरिया और खेल के गीतों का मज़ा लिया है. लेडीज़ संगीत का मतलब केवल डीजे पर डांस करना नहीं है..

भुवाल रियासत के सन्यासी राजा की कहानी, जो मौत के 12 साल बाद फिर लौट आयाः भारत के इतिहास में जड़ा अद्भुत, अनोखा और रहस्यमयी सच