ठंडी मौत...? कोल्ड ड्रिंक्स के रूप में धीमा ज़हर पी रहे हैं आप...


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- हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ की स्टडी से पता चला है कि अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स केवल मोटापा ही नहीं बढ़ाते बल्कि जान के दुश्मन भी हैं। मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन पूरे विश्व में हर साल लगभग पौने दो लाख (1,80000) लोगों की मौत का कारण बनता हैं। इनके सेवन के चलते हर साल लगभग एक लाख तैंतीस हज़ार लोग डायबिटीज़ के शिकार होकर, लगभग 6000 लोग कैंसर का शिकार होकर और लगभग 44,000 लोग दिल की बीमारियों का शिकार होकर मर जाते हैं। इस स्टडी के परिणामों को अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की मीटिंग में प्रस्तुत किया गया था। (डेली मेल यूके की 19 मार्च 2013 की रिपोर्ट)

-छत्तीसगढ़ स्थित दुर्ग, राजनन्दगांव और धमतारी जिलों के किसान बताते हैं कि वो अपने चावल के खेतों को कीटों से बचाने के लिए पेप्सी और कोक का इस्तमाल कर चुके हैं जो कि एक सफल प्रयोग साबित हुआ है। किसानों के अनुसार पानी में मिलाकर कोक और पेप्सी का फसल पर छिड़काव करना, कीटनाशकों के प्रयोग से कहीं ज्यादा सस्ता और सुलभ पड़ता है और इससे कीटों से फसल का बचाव भी हो जाता है। (बीबीसी न्यूज, 3 नवंबर 2004 की रिपोर्ट http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/3977351.stm )

-कार्बोनेटेड ड्रिंक्स को डायबिटीज़, हायपरटेंशन और गुर्दे की पथरी से जोड़ा गया है। खास तौर से कोला पेय में फॉस्फोरिक ऐसिड होता है जो यूरिनरी बदलाव और गुर्दे की पथरी का कारण बनता है। दिन में दो या ज्यादा कोला पीने से क्रॉनिक किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। रेगुलर कोला और आर्टीफिशियल स्वीटनर वाली कोला दोनों से एक जैसे परिणाम मिलते हैं। (अमेरिकी चिकित्सा शोध पत्रिका पबमेड में 18 जुलाई, 2007 को प्रकाशित, http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/17525693?ordinalpos=1&itool=EntrezSystem2.PEntrez.Pubmed.Pubmed_ResultsPanel.Pubmed_DefaultReportPanel.Pubmed_RVDocSum )

-डेली एक्सप्रेस के मुताबिक जो लोग प्रतिदिन इस तरह के ड्रिंक्स पीते हैं उनमें दिल के दौरे या नाड़ी संबंधी रोग होने की आशंका 43 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि जो लोग प्रतिदिन डायट ड्रिंक्स पीते हैं उनमें दिल के दौरे या नाड़ी संबंधी रोग होने की आशंका 43 प्रतिशत ज्यादा होती है। अध्ययन में यह भी देखा गया कि जो लोग सॉफ्ट ड्रिंक्स कम पीते हैं, उन्हें रोजाना पीने वालों के मुकाबले दिल के खतरे कम होते हैं।

-एक स्टडी में यह दावा भी किया गया है कि दिन में एक लीटर या उससे ज्यादा कोल्ड ड्रिंक पीने से पुरुषों की प्रजनन शक्ति घट जाती है।

उपरोक्त सभी खबरें आपकी प्रिय कोल्ड ड्रिंक्स के विरुद्ध किसी भ्रामक प्रचार या अफवाहों का नतीजा नहीं हैं बल्कि प्रतिष्ठित समाचार पत्रों व शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरें हैं जो बाकायदा शोध के बाद प्रकाशित की गई हैं। जी हां, अगर आप भी कोक, पेप्सी, फ्रूटी, स्लाइस या स्पोर्ट्स ड्रिंक्स के बहुत शौकीन हैं और इन्हें अपने जीवन का अभिन्न अंग बना चुके हैं तो हम आपको बता दें कि आप अपने शरीर को बीमारियों का घऱ बनाने का पूरा इंतज़ाम कर चुके हैं। क्योंकि इन मीठे पेय पदार्थों की शक्ल में दरअसल आप एक धीमा ज़हर खुद-ब-खुद अपनी रगों में पहुंचा रहे हैं। और अगर आपके बच्चे भी इसके शौकीन हैं तो बधाई, आपकी अगली पीढ़ी भी घातक रोगों का शिकार बनने की राह पर कदम रख चुकी है। आप जानना चाहेंगे हम ऐसा क्यों कह रहें हैं, तो पढ़िए यह विस्तृत रिपोर्ट-

-कोल्ड ड्रिंक्स में सोडियम मोनो ग्लूटामेट, ब्रोमिनेटेड बैजिटेबल ऑइल, मिथाइल बेन्जीन और एंडोसल्फान जैसे ज़हर मौजूद होने की भी रिपोर्ट्स मिली हैं।



क्या हैं सॉफ्ट ड्रिंक?
सॉफ्ट ड्रिंक्स नॉन अल्कोहलिक ड्रिंक्स होते हैं अर्थात इनमें अल्कोहल नहीं होता है। इसलिए ये 'सॉफ्ट' होते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स में कोला, फ्लेवर्ड, वाटर, सोडा पानी, सिंथेटिक फ्रूट ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स, स्पोर्ट्स ड्रिंक्स आदि आते हैं।

कोला और कोक जैसे कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स क्या हैं?
वो सॉफ्ट ड्रिंक्स जिनके अंदर कार्बन डाईऑक्साइड गैस होती है, उन्हें कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स कहते हैं। इनमें सभी तरह के सोडा, कोक, कोला, पेप्सी आदि शामिल हैं। 


क्या क्या है आपकी सॉफ्ट ड्रिंक में- कभी किसी सोडा कैन, या सॉफ्ट ड्रिंक की बोतल पर उसके इन्ग्रीडिएन्ट्स के बारे में पढ़िएगा तो आपको निम्न प्रमुख इन्ग्रीडिएन्ट्स दिखेंगे- 




शुगर (सुक्रोज और कॉर्न सीरप)- 
एक साधारण कोल्ड ड्रिंक की बोतल में अत्यधिक मात्रा में चीनी होती है जो मोटापा, टाइप बी डायबिटीज़ और मैटाबॉलिक सिन्ड्रोम का कारण बनती है। हाई ब्लड प्रेशर, हाई कॉलेस्ट्रॉल और पेट का मोटापा इससे होने वाली अन्य बीमारियां हैं।

एस्पारटेम (aspartame)- यह डाइट सोडा का मुख्य अंश है जो भूख बढ़ाता है। तो अगर आप डाइट सोडा पीकर कैलोरी लेने से बचने की सोच रहे हैं तो हो सकता है कि इसकी वजह से लगने वाली भूख के कारण आप ज्यादा खाना खा लें और ज्यादा कैलोरीज़ ले लें।

कैरेमल कलर- यह कत्थई रंग होता है जिसमें 2-मिथाइलिमाइडोजोल और 4-मिथाइलिमाइडोजोल (2-Methylimidozole & 4- Methylimidozole ) रसायन होते हैं जिन्हें प्रयोगशाला में चूहों के ऊपर प्रयोग के दौरान फेफड़ों, यकृत और थाइरॉइड कैंसर से संबंधित पाया गया है।

सोडियम- डाइट सोडा में मिलाया जाने वाला अत्यधिक सोडियम, स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है।

फॉस्फोरिक ऐसिड
 -कोल्डड्रिंक्स में मौजूद फॉस्फोरिक एसिड सबसे खतरनाक तत्वों में से एक हैं जो हड्डियों की कमज़ोरी और ऑस्टीयोपॉरोसिस का कारण है। कोल्ड ड्रिंक्स में सिट्रिक और फॉस्फोरस एसिड होता है, जिसका ज्यादा सेवन करना सेहत के लिए नुकसानदायक तो होता ही है, साथ ही यह एसिड दांतों के लिए भी नुकसानदायक होता है।

कैफीन- शायद सुनने में आपको अजीब लगे लेकिन कोल्ड ड्रिंक्स में कैफीन एक प्रमुख तत्व होता है जो बच्चों में सिरदर्द, नींद ना आना, चिड़चिड़ापन आदि तकलीफों का कारण हो सकता है।

फ्लेवर एडीटिव्स- शुगर की मात्रा और सोडे की एसिडिटी के अतिरिक्त फ्रूट ड्रिंक्स में डाले जाने वाले फ्लेवर एडीटिव्स दांतो के इनैमल के खराब होने का कारण बनते हैं।




कीटनाशक- इन कोल्ड ड्रिंक्स में हमारे शरीर के लिए हानिकारक कीटनाशकों की मात्रा निर्धारित मानकों से कहीं अधिक होती है।


सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने पर सौगात में मिलती हैं ये बीमारियां


मोटापा : सॉफ्ट ड्रिंक्स में कैलोरीज और शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक मतलब मोटापे को निमंत्रण।

टूथ डिके : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद शुगर एवं एसिड बच्चों के दाँत सड़ने के कई कारणों में से एक हैं। इन ड्रिंक्स में मौजूद एसिड दाँतों के इनेमल को धीरे-धीरे गला देता है।  

हड्डियों को कमजोर करना : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद फॉस्फोरिक ऐसिड के कारण बच्चों की हड्डियों से कैल्शियम बाहर आता है जिससे उनके बोन्स कमजोर होते हैं। इस ड्रिंक्स में मौजूद अधिक मात्रा में फॉस्फोरस भी कैल्शियम को हड्डियों से बाहर निकालता है जो आगे जाकर ऑस्टियोपॉरोसिस जैसी बीमारी का कारण बनता है।

पेप्टिक अल्सर और पेट के रोग- शीतल पेय पेप्टिक अल्सर को और बढ़ाते है। यदि कोल्ड ड्रिंक्स में मिठास के लिए सैक्रीन का प्रयोग किया गया हो तो यह कैंसर पैदा कर देगा। मधुमेह, जोड़ों के दर्द और उच्च रक्तचाप वालों के लिए कोल्ड ड्रिंक्स बहुत हानिकारक है।

डायबिटीज़, कैंसर और दिल व फेफड़ो के रोग- ऊपर लिखी शोध की रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट हो चुका है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स इन घातक बीमारियों और कई मामलों में मौत का कारण बनती हैं।

कार्बोनेटेड ड्रिंक्स यानि कार्बन डाई ऑक्साइड के स्त्रोत- हमने बचपन से पढ़ा है कि हमारा शरीर प्राणवायु ऑक्सीजन लेता है और कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जित करता है जो शरीर के लिए हानिकारक है। लेकिन इन कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के ज़रिए हम कार्बन डाई ऑक्साइड शरीर में ले जाते हैं। अगर आप महसूस करते हों तो कोला, कोक या पेप्सी पीते हीं एक दम से नाक में जलन का अहसास होता है जो सीधे दिमाग तक जाता है। लेकिन फिर भी उसे अनदेखा करके हम इन कार्बोनेटेड ड्रिंक्स को पीने में आनंद लेते हैं।



संसद की कैंटीन में नही मिलते कोल्ड ड्रिंक्स, लेकिन देश में खूब बिक रहा है यह ज़हर

आपको जानकर हैरानी होगी कि इन कोल्ड ड्रिंक्स में कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल की खबर आने के बाद से काफी समय पहले संसद की कैंटीन में इन कोल्ड ड्रिंक्स को बैन कर दिया गया था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पूरे देश में और खासतौर से शिक्षा संस्थानों की कैंटीन में इनकी बिक्री बदस्तूर जारी है जो युवा पीढ़ी को अपना शिकार बना रही है।

'ठण्डा मतलब टॉयलेट क्लीनर, ठंडा मतलब कीटनाशक !'

-ठण्डे पेयों (कोल्ड ड्रिंक्स) का PH मान 2.4 से लेकर 3.5 तक होता है जो कि एसिड की परिसीमा में आता है, रासायनिक रुप से हम घरों में जो टॉयलेट क्लीनर उपयोग में लाते हैं इसका भी PH मान 2.5 से लेकर 3.5 के बीच होता है इसलिए इन कोल्ड ड्रिंक्स को टॉयलेट क्लीनर के रूप में भी प्रयोग में लाया जा सकता है। सामान्य रुप से पानी का PH मान 7.5 के आस-पास होता है जो हमारे पीने के लिये सर्वोत्तम है।

-पोटेशियम सॉर्बेट, सोडियम ग्लूकामेट, कार्बन डार्इ आक्सार्इड जैसे विष इसमें मिलाये जाते हैं। इसके अलावा मेलाथियान, लिण्डेन, डीडीटी जैसे हानिकारक रसायन भी मिलाये जाते हैं जिसके कारण यह कीटनाशक के रूप में भी काम करता है।

अमेरिकी शोध में सामने आया भारत का हाल-

हमारे देश के बारे में अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्था इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूवेशन की ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडीज 2010 में कहा गया है कि भारत में 2010 में 95,427 लोगों की मौत की एक बड़ी वजह इन अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन बना। इन मौतों की दर में 1990 की तुलना में 161 प्रतिशत की वृद्धि हुई है 1990 में सॉफ्ट ड्रिंक्स की लत के कारण 36,591 लोगों ने दम तोड़ा था। 2010 पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोला पीने के आदी लोगों में से 78,017 दिल की बीमारी की वजह से मरे, 11,314 लोग सॉफ्ट ड्रिंक्स के कारण डायबिटीज के रोगी बन गये जबकि लगभग 6096 कैंसर रोगी बनकर दम तोड़ चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 में 36,591 लोगों की विभिन्न गैर संक्रामक रोगों से मरने का एक प्रमुख कारण अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स थे।

कैसे किया गया था शोध
भारत में 2010 में प्राकृतिक रूप से मरने वाले लोगों के आंकड़े इकठ्ठे किये गये और इसके लिये मौत की वजह की सभी उपलब्ध जानकारियाँ जुटाई गईं असमय मौत के मामलों में उम्र, लिंग और क्षेत्र के विश्लेषण में 67 अलग-अलग रिस्क फैक्टर्स को अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने की आदत से मिलान किया गया और उनकी तुलना 1990 और 2010 के आंकड़ों से की गई। ब्रिटेन की प्रतिष्ठित मेडिकल जन लैंसेट में में प्रकाशित रिपोर्ट से भी आंकड़े और जानकारियों को इस शोध में शामिल किया गया था। 


कंपनियों ने कहा गलत है रिपोर्ट
हांलाकि इस रिपोर्ट के विरोध में भारतीय कोला कंपनियों के पैरोकार संगठन इंडियन बेवरेज एसोसिएशन ने कहा था कि अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स से होने वाली मौतों की रिपोर्ट सही नहीं है इस रिपोर्ट से सिर्फ आम लोगों में भ्रम फैलाने का प्रयास किया गया है। अब यह बात अलग है ये कंपनियां इस शोध की कोई मज़बूत काट प्रस्तुत नहीं कर पाईं।

अमिताभ बच्चन ने सॉफ्ट ड्रिंक का विज्ञापन करना बन्द किया

अमिताभ बच्चन ने आईआईएम, अहमदाबाद में एक व्याख्यान के दौरान बताया था कि उन्होंने सॉफ्ट ड्रिंक का विज्ञापन करना बंद कर दिया है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जयपुर में उनसे एक लड़की ने पूछा था कि जिस सॉफ्ट ड्रिंक को उनकी टीचर ने 'जहर' बताया है, वह उसका विज्ञापन क्यों करते हैं? लड़की के सवाल पर अमिताभ बच्चन निरुत्तर हो गए। लेकिन इस घटना ने उन्हें सोचने को मजबूर कर दिया और इसके बाद उन्होंने सॉफ्ट ड्रिंक का विज्ञापन करना बंद कर दिया- 'लोगों के दिमाग में यह छवि थी...इसलिए मैंने पेप्सी को इंडॉर्स करना बंद कर दिया।' 





आप भी करें यह प्रयोग- अगर आपको हमारी बातों पर यकीन नहीं तो आप खुद घर पर एक छोटा सा प्रयोग करके देखें। कोक या पेप्सी की बोतल लाईए और उसमें थोड़ा सा दूध मिला दीजिए। इसे दो तीन घंटो के लिए ऐसे ही छोड़ दीजिए। दो-तीन घंटों के बाद आप देखेंगे की बोतल की तली में सफेद मोटी कीचड़ जैसी चीज़ जमा हो जाती है जबकि ऊपर विरल और हल्के रंग का पेय दिखने लगता है।साधारण भाषा में कहें तो ऐसा इसलिए होता है कि कोक में मौजूद फॉस्फोरिक एसिड दूध के कैल्शियम को बाहर निकाल देता है। सोचिए ऐसा ही हाल ज्यादा मात्रा में कोल्ड ड्रिंक्स पीने पर शरीर में मौजूद हड्डियों के कैल्शियम का भी होता है। आप इसके बारे में गूगल पर भी पढ़ सकते हैं।


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