एक विवाह ऐसा भी...
आज की यह कहानी दुनिया के सबसे खूबसूरत जज़्बे "प्यार" के नाम...। हममें से बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका प्यार पर से यकीं उठ चुका है जो यथार्थवादिता की बातें करते हैं, स्वार्थ की बातें करते हैं और इसमें विश्वास रखते हैं कि प्यार नाम की चीज़ इस दुनिया में रही ही नहीं हैं... लेकिन सच तो यह है कि प्यार की भावना इस दुनिया में ज़िंदा है और वो भी पूरी शिद्दत के साथ....
दीपक और शिखा की यह जोड़ी प्यार की जीती जागती मिसाल है। फैज़ाबाद में रहने वाले 28 साल के दीपक पाठक सिपला में बतौर एरिया मैनेजर काम करते हैं और इन्होंने अपनी पत्नी शिखा से प्रेमविवाह किया है। दीपक एक ब्राह्मण हैं और उनकी पत्नी शिखा 'यादव'... और साथ ही कैंसर की मरीज़। जी हां, आपने ठीक पढ़ा। शिखा को शादी के पहले से ब्रेस्ट कैंसर है। हर 20 दिन बाद उनकी कीमोथैरेपी होती है जिसमें 35,000 रूपए का खर्चा आता है और 25,000 रूपए महीना कमाने वाले दीपक पाठक अपनी पत्नी के लिए किसी भी तरह पैसों का इंतज़ाम करके यह खर्च वहन करते हैं और शिखा का इलाज नाबाद चल रहा है।
यह दोनों आठ साल पहले बैंगलोर के कॉलेज में मिले थे जहां दोनों ही फार्मेसी के विद्यार्थी थे। दीपक, शिखा के सीनियर थे। धीरे-धीरे जान पहचान दोस्ती में और फिर दोस्ती प्यार में तब्दील हुई। तीन साल बाद दीपक ने शिखा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। चूंकि दोनों की जातियां अलग थी, दोनों ही जानते थे कि शादी में मुश्किले आनी हैं। शिखा तो बहुत डर गईं थी, दीपक ने हिम्मत दी और दोनों 'जो होगा देखा जाएगा' की तर्ज पर अपना रिश्ता आगे बढ़ाते रहे।
इन दोनों के रिश्ते पर असली मुसीबत तब आई जब 2009 में शिखा को यह पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। खुद से ज्यादा शिखा को दीपक की चिंता थी। वो कहती हैं "जब मैंने दीपक को इस बारे में बताया तो यह बहुत रोए। दीपक भगवान में नहीं मानते थे लेकिन मेरी बीमारी का पता चलने के बाद इन्होंने शुक्रवार के व्रत रखे। देवी मां से बस यहीं दुआ मांगते थे कि वो मुझे ठीक कर दे। तब मुझे पहली बार पता चला कि दीपक मुझे कितना चाहते हैं।"
पर अब शिखा के लिए दीपक से शादी का फैसला और भी मुश्किल था, उन्होंने शादी के लिए मना कर दिया। लेकिन दीपक अब भी शिखा से ही शादी की बात पर अड़े रहे। उन्होंने आखिरकार शिखा को खुद से शादी करने के लिए मना ही लिया। दीपक का शिखा के प्रति इतना प्यार देखकर शिखा के माता-पिता भी दोनों की शादी के लिए तैयार हो गए।
लेकिन दीपक के मां-बाप नहीं माने। उन्हें यह किसी भी कीमत पर मंज़ूर नहीं था कि उनका बेटा अपनी जाति से बाहर शादी करें और वो भी एक कैंसर से ग्रस्त लड़की से, जिसके इलाज पर मोटा खर्चा होना तय है। उन्हें इस बात का भी डर था कि बीमारी के कारण शिखा ना तो परिवार संभाल पाएगी और ना ही शायद उन्हें पोते-पोतियों का सुख दे पाएगी। लेकिन दीपक ने जो ठान लिया वो ठान लिया। सारी हकीकत जानने और खूब सोच विचार करने और समझाने के बावजूद दीपक ने शिखा से ही शादी करने का फैसला किया और आखिरकार दिसम्बर 2012 में, सिर्फ दस लोगों की मौजूदगी में इन दोनों की शादी हो गई।
आज दीपक के परिवार वाले उनसे रिश्ता तोड़ चुके हैं। दीपक शिखा के साथ फैज़ाबाद में एक छोटे से किराए के मकान में रहते हैं और एक दूसरे के साथ बेहद खुश हैं। शिखा को हर 20 दिन बाद कीमोथेरेपी के लिए जाना पड़ता है। उनका यह इलाज लगभग एक साल चलेगा। दीपक अपना काम निपटा कर सीधा घर आते हैं और शिखा के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुज़ारते हैं। शिखा खुशी-खुशी बताती हैं "कई बार तो यह मेरे लिए खाना भी बनाते हैं। मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं करते। मुझसे ज़्यादा खुशनसीब कौन होगा। कितनी ही बार मेरी सहेलियां तक मुझसे कहती हैं कि काश हमें भी कोई दीपक जैसा चाहने वाला मिलता..."
और जब हमने दीपक से पूछा कि शादी को आठ महीने हो चुके हैं, आपका परिवार आपसे रिश्ता तोड़ चुका है, हर महीने आपको अपनी पत्नी के इलाज पर अच्छा-खासा खर्चा करना पड़ता है.., क्या आपको कभी अपने निर्णय पर अफसोस नहीं होता..? तो मृदुभाषी दीपक जवाब देते हैं " मुझे शादी से पहले सब कुछ मालूम था। किसी ने मुझ पर दबाब नहीं डाला। मैंने अपनी इच्छा से शादी की है और मैं बेहद खुश हूं। मुझे मालूम है शिखा कुछ समय में पूरी तरह ठीक हो जाएगी और तब शायद ज़िंदगी और ज्यादा अच्छी हो जाए।"
हम नही जानते कल क्या होगा... दीपशिखा के इस रिश्ते की क्या सूरत होगी... लेकिन वर्तमान में यह रिश्ता बहुत खूबसूरत है और उन सब लोगों के लिए एक उदाहरण है जो प्यार करना तो जानते हैं, पर निभाना नहीं....
(साभार- विकास अग्रवाल)
दीपक और शिखा |
दीपक और शिखा की यह जोड़ी प्यार की जीती जागती मिसाल है। फैज़ाबाद में रहने वाले 28 साल के दीपक पाठक सिपला में बतौर एरिया मैनेजर काम करते हैं और इन्होंने अपनी पत्नी शिखा से प्रेमविवाह किया है। दीपक एक ब्राह्मण हैं और उनकी पत्नी शिखा 'यादव'... और साथ ही कैंसर की मरीज़। जी हां, आपने ठीक पढ़ा। शिखा को शादी के पहले से ब्रेस्ट कैंसर है। हर 20 दिन बाद उनकी कीमोथैरेपी होती है जिसमें 35,000 रूपए का खर्चा आता है और 25,000 रूपए महीना कमाने वाले दीपक पाठक अपनी पत्नी के लिए किसी भी तरह पैसों का इंतज़ाम करके यह खर्च वहन करते हैं और शिखा का इलाज नाबाद चल रहा है।
यह दोनों आठ साल पहले बैंगलोर के कॉलेज में मिले थे जहां दोनों ही फार्मेसी के विद्यार्थी थे। दीपक, शिखा के सीनियर थे। धीरे-धीरे जान पहचान दोस्ती में और फिर दोस्ती प्यार में तब्दील हुई। तीन साल बाद दीपक ने शिखा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। चूंकि दोनों की जातियां अलग थी, दोनों ही जानते थे कि शादी में मुश्किले आनी हैं। शिखा तो बहुत डर गईं थी, दीपक ने हिम्मत दी और दोनों 'जो होगा देखा जाएगा' की तर्ज पर अपना रिश्ता आगे बढ़ाते रहे।
इन दोनों के रिश्ते पर असली मुसीबत तब आई जब 2009 में शिखा को यह पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। खुद से ज्यादा शिखा को दीपक की चिंता थी। वो कहती हैं "जब मैंने दीपक को इस बारे में बताया तो यह बहुत रोए। दीपक भगवान में नहीं मानते थे लेकिन मेरी बीमारी का पता चलने के बाद इन्होंने शुक्रवार के व्रत रखे। देवी मां से बस यहीं दुआ मांगते थे कि वो मुझे ठीक कर दे। तब मुझे पहली बार पता चला कि दीपक मुझे कितना चाहते हैं।"
पर अब शिखा के लिए दीपक से शादी का फैसला और भी मुश्किल था, उन्होंने शादी के लिए मना कर दिया। लेकिन दीपक अब भी शिखा से ही शादी की बात पर अड़े रहे। उन्होंने आखिरकार शिखा को खुद से शादी करने के लिए मना ही लिया। दीपक का शिखा के प्रति इतना प्यार देखकर शिखा के माता-पिता भी दोनों की शादी के लिए तैयार हो गए।
लेकिन दीपक के मां-बाप नहीं माने। उन्हें यह किसी भी कीमत पर मंज़ूर नहीं था कि उनका बेटा अपनी जाति से बाहर शादी करें और वो भी एक कैंसर से ग्रस्त लड़की से, जिसके इलाज पर मोटा खर्चा होना तय है। उन्हें इस बात का भी डर था कि बीमारी के कारण शिखा ना तो परिवार संभाल पाएगी और ना ही शायद उन्हें पोते-पोतियों का सुख दे पाएगी। लेकिन दीपक ने जो ठान लिया वो ठान लिया। सारी हकीकत जानने और खूब सोच विचार करने और समझाने के बावजूद दीपक ने शिखा से ही शादी करने का फैसला किया और आखिरकार दिसम्बर 2012 में, सिर्फ दस लोगों की मौजूदगी में इन दोनों की शादी हो गई।
आज दीपक के परिवार वाले उनसे रिश्ता तोड़ चुके हैं। दीपक शिखा के साथ फैज़ाबाद में एक छोटे से किराए के मकान में रहते हैं और एक दूसरे के साथ बेहद खुश हैं। शिखा को हर 20 दिन बाद कीमोथेरेपी के लिए जाना पड़ता है। उनका यह इलाज लगभग एक साल चलेगा। दीपक अपना काम निपटा कर सीधा घर आते हैं और शिखा के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुज़ारते हैं। शिखा खुशी-खुशी बताती हैं "कई बार तो यह मेरे लिए खाना भी बनाते हैं। मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं करते। मुझसे ज़्यादा खुशनसीब कौन होगा। कितनी ही बार मेरी सहेलियां तक मुझसे कहती हैं कि काश हमें भी कोई दीपक जैसा चाहने वाला मिलता..."
और जब हमने दीपक से पूछा कि शादी को आठ महीने हो चुके हैं, आपका परिवार आपसे रिश्ता तोड़ चुका है, हर महीने आपको अपनी पत्नी के इलाज पर अच्छा-खासा खर्चा करना पड़ता है.., क्या आपको कभी अपने निर्णय पर अफसोस नहीं होता..? तो मृदुभाषी दीपक जवाब देते हैं " मुझे शादी से पहले सब कुछ मालूम था। किसी ने मुझ पर दबाब नहीं डाला। मैंने अपनी इच्छा से शादी की है और मैं बेहद खुश हूं। मुझे मालूम है शिखा कुछ समय में पूरी तरह ठीक हो जाएगी और तब शायद ज़िंदगी और ज्यादा अच्छी हो जाए।"
हम नही जानते कल क्या होगा... दीपशिखा के इस रिश्ते की क्या सूरत होगी... लेकिन वर्तमान में यह रिश्ता बहुत खूबसूरत है और उन सब लोगों के लिए एक उदाहरण है जो प्यार करना तो जानते हैं, पर निभाना नहीं....
(साभार- विकास अग्रवाल)
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