इस नीले रोबोट के दीवाने है पूरे भारते के बच्चे...

इस बिल्ले रोबोट के गैजेट्स कमाल के होते हैं, इसके पास हर मुश्किल का हल है, टाइम मशीन के ज़रिए वो जब चाहे भूतकाल में जा सकता है और जब चाहे भविष्य में। वो बैम्बू कॉप्टर से उड़ता है, एनीवेयर डोर से जहां चाहे वहां पहुंच सकता है और हर नामुमकिन चीज़ को मुमकिन कर सकता है। बस उसे अपनी फोर डायमेंशनल जेब में से अत्याधुनिक गैजेट निकालने की देर है कि हर मुश्किल काम चुटकियों में आसान हो जाता है... अब तक तो आप पहचान ही गए होंगे। आपके घर में भी यह रोबोट बिल्ला रोज़ आता होगा और आपके बच्चों को बेहद भाता होगा... सही पहचाना आपने, हम बात कर रहे हैं बाईसवीं शताब्दी से आए, बच्चो के प्यारे नीले रंग के रोबोट डोरेमॉन की। बिना कानों वाला यह रोबोट नोबिता का गहरा दोस्त है, उसी के साथ नोबी रेज़िडेंस में रहता है।

भारत के हर बच्चे का दोस्त है डोरेमॉन
 नोबिता का दोस्त डोरेमोन पूरे भारत के बच्चों का भी गहरा दोस्त बन चुका है। किसी भी राज्य के किसी भी शहर के किसी भी परिवार के बच्चे से बात कर लीजिए और पूछिए उसके प्यारे कार्टून के बारे में। सबका जवाब होगा - डोरेमॉन.... बच्चो से डोरेमॉन के बारे में कुछ भी पूछिए वो आपको सब बता देंगे। इतना उन्हें अपने घर और रिश्तेदारों के बारे में भी नहीं पता होगा जितना कि आज के बच्चे डोरेमॉन के बारे में जानते हैं। भारत में माताएं-पिताएं अपने बच्चों से इसका नाम लेकर काम करवाते हैं कि डोरेमॉन का शो तभी देखोगे जब पढ़ाई खत्म कर लोगे या जब तक हम बाहर जाए आप डोरेमॉन देख लेना... आज स्कूल के बस्ते से लेकर रबर, पैंसिल, खिलौनों, पिचकारियों सब पर डोरेमॉन छाया हुआ है। बच्चो को डोरेमॉन वाला ही खिलौना चाहिए होता है, उसी के चित्र वाली बॉटल अच्छी लगती है और लंच बॉक्स भी वहीं ले जाते हैं जिस पर डोरेमॉन मौजूद हो।
स्कूल से आते ही बच्चे सबसे पहले इसी रोबोट से मिलने के लिए टीवी खोलते हैं... आखिर क्या बात है जिसने इस रोबोट को  भारत में इतना लोकप्रिय बनाया है? इसे जानने के लिए पहले जानते हैं डोरेमॉन के बारे में..

डोरेमॉन में क्या खास है -
  डोरेमॉन को दरअसल एक बच्चे सेवाशी नोबी ने बाईसवीं शताब्दी से अपने पड़दादा नोबिता के पास इसलिए भेजा है जिससे कि डोरेमॉन उसके पड़दादा नोबिता को सुधार सके और एक जिम्मेदार इंसान बना सके ताकि नोबिता की आने वाली पीढ़ियों यानि सेवाशी का भविष्य भी अच्छा हो। दरअसल नोबिता पांचवी कक्षा में पढ़ने वाला एक बेहद आलसी, निखट्टू और पढ़ाई में कमज़ोर लड़का है जिसका हमेशा पढ़ाई में ज़ीरो ही आता है और जिसे उसके दोस्त जियान और सुनियो हमेशा परेशान करते रहते हैं।
डोरेमॉन उससे मित्रता करता है, अपने गैजेट्स से उसकी हर मामले में मदद करता है लेकिन नोबिता नहीं सुधरता। बल्कि जब जब डोरेमॉन, नोबिता की मदद करने के लिए उसे अपने गैजेट्स देता है, नोबिता अपनी शैतानियों के लिए उसका इस्तमाल करता है और मुसीबत में पड़ जाता है। पर डोरेमॉन भी दोस्तों का दोस्त है, अपनी ज़िद का पक्का है। उसने अपनी कोशिशे छोड़ी नहीं हैं और वो नोबिता को सुधारने में लगातार लगा हुआ है।
यह प्यारा सा डोरेमॉन डोरा केक्स का दीवाना है। यह बहुत बहादुर है और सिर्फ चूहो से डरता है वो भी इसलिए क्योंकि चूहे इसके दोनों कान खा गए थे। इसके पास एक जादुई फोर डायमेंशनल पॉकेट है जिसमें से वो खूब सारे गैजेट्स निकालता है और सबकी मदद करता है।
डोरेमॉन और नोबिता के अलावा इस शो के अन्य पात्र है जियान- मोटा जियान जो बहुत बेसुरा गाता है लेकिन गायकी में ही अपना करियर बनाना चाहता है, सुनियो- एक अमीर लेकिन दिखावा करने वाला घमंडी लड़का जो जियान की चापलूसी करता है और उसके साथ मिलकर नोबिता को परेशान करता है, शिजूका-एक प्यारी सी लड़की और नोबिता की क्लासमेट। शिजूका की दोस्ती सबसे है। इनके अलावा इस शो में जियान की बहन जैको, उसका पालतू कुत्ता मूकु, डोरेमॉन की दोस्त डोरेमी और मीचैन, बेहद होशियार लड़का डेगीसूकी और नोबिता के मम्मी-पापा व टीचर भी हैं।

बहुत कुछ सिखाता भी है डोरेमॉन
डोरेमॉन कोई ऐसा वैसा कार्टून शो नहीं है, इसके हर एपिसोड में बच्चो के लिए कोई ना कोई नैतिक शिक्षा, जानकारी या हिदायत छिपी होती है। डोरेमॉन अपने दोस्त नोबिता के लिए कुछ भी कर सकता है और इस तरह वो सच्ची मित्रता का संदेश देता है। पर्यावरण को बचाने के लिए भी डोरेमॉन काम करता है, तो बुज़ुर्गो की मदद के लिए भी। बच्चो को सच बोलने की शिक्षा भी देता है और अपना काम समय पर करने की भी, दिखावे को गलत बताता है तो ज़रूरतमंदो की मदद करने को अच्छा। और यही वजह है कि भारत भर के मम्मी पापाओं को भी अपने बच्चो द्वारा डोरेमॉन देखने पर कोई आपत्ति नहीं है बल्कि कई घरों में तो बच्चों के माता-पिता भी उनके साथ बैठकर यह शो देखते हैं।

फ्यूजीको एफ फ्यूजियो द्वारा बनाया गया यह जापानी कार्टून शो पूरे भारत में बच्चों का लोकप्रिय बन गया है।अब तक इसके 1700 से ज्यादा एपिसोड्स भारत में प्रसारित किए जा चुके हैं। पहले इसे हंगामा चैनल पर दिखाया जाता था और आजकल इसे डिस्नी चैनल पर भी प्रसारित किया जा रहा है। डोरेमॉन की सात फिल्में भी आ चुकी हैं, जिनमें से दो को तो बाकायदा सिनेमाघरों में भी रिलीज़ किया गया था। हाल ही में डिज़्नी चैनल पर दिखाई गई डोरेमॉन की फिल्म "डोरेमॉन-नोबिताज़ डायनासौर" ने व्यूअरशिप के मामले में रिकॉर्ड स्थापित कर दिया है। 2005 के बाद किसी भी हिन्दी बच्चो के शो के मुकाबले इस फिल्म को सबसे ज़्यादा देखा गया।
खैर डोरेमॉन है ही इतना प्यारा कि सबको इससे प्यार हो जाता है। आप भी अपने बच्चो के साथ बच्चा बनकर इसे देखिए, यकीन मानिए इस नीले रोबोटिक बिल्ले से मिलकर आपको बहुत मज़ा आएगा।

(डोरेमॉन की यह कहानी तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले मेरे बेटे के विशेष अनुरोध पर लिखी गई है :-))

Comments

  1. We are urgently in need of KlDNEY donors for the sum of $500,000.00 USD,(3 CRORE INDIA RUPEES) All donors are to reply via Email for more details: Email: healthc976@gmail.com

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