'भद्रा' है रक्षाबंधन की तारीख संबंधी भ्रम का कारण


भाई-बहनों के स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार को लेकर इस वर्ष काफी भ्रम की स्थिति है। जहां बहुत सी जगह रक्षाबंधन की छुट्टी 20 अगस्त को घोषित की गई है वहीं अन्य जगहों या राज्यों में 21 अगस्त को राखी के त्यौहार मनाने की बात चल रही है।

रक्षाबंधन को लेकर यह भ्रम की स्थिति क्यों है इस बारे में जब हमने पास ही के मंदिर के पंडित जी रघुराम शास्त्री जी से बात की तो उन्होंने बताया कि इस त्यौहार को लेकर भ्रम की यह स्थिति भद्रा योग के कारण हैं।

दरअसल रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास यानि सावन महीने की पूर्णिमा (फुल मून डे) को मनाया जाता है जो कि इस साल 20 अगस्त को होगी। इस दिन सुबह 10.23 पर पूर्णिमा लगेगी  जो 21 अगस्त को सुबह 7.25 बजे तक रहेगी। तो कायदे से रक्षाबंधन 20 तारीख को ही मनाया जाना चाहिए।

लेकिन परेशानी यह है कि 20 अगस्त को पूर्णिमा के साथ ही भद्रा योग भी शुरू हो रहा है जो रात्रि 8.48 बजे तक रहेगा। और भद्रा योग में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता।

यहीं वजह है कि रक्षाबंधन इस बार 20 तारीख की रात को 8.48 के बाद या फिर 21 तारीख को सुबह साढ़े सात बजे से पहले मनाया जाएगा।

क्या है भद्रा

पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन है। जब चन्द्रमा- कर्क, सिंह, कुंभ, व मीन राशि में विचरण करता है तब भद्रा विष्टीकरण का योग होता है। सरल भाषा में हम यह कह सकते हैं कि ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार भद्रा योग आता है जिसका हिन्दु पंचांग में विशेष महत्व है। भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ या समाप्त नहीं किया जाता। यहीं कारण है कि 20 अगस्त को श्रावणी पूर्णिमा होने के बावजूद भद्रा योग होने के कारण बहनों द्वारा भाईयों को राखी बांधना शुभ नहीं है।

क्या है विकल्प

अब दो ही विकल्प हैं या तो 20 तारीख को रात 8.48 पर भद्रा के खत्म होने पर राखी बांधी जाए या फिर दूसरे दिन सुबह 7.25 से पहले।  पंडितों के अनुसार 20 अगस्त को रक्षाबंधन का श्रेष्ठ मुहूर्त रात 8.48 बजे से रात 9.10 ंबजे तक रहेगा।

पर चूंकि शास्त्रानुसार रात्रि काल में भी रक्षाबंधन मनाना निषेध होता है इसलिए बहुत से पंडितों का मानना है कि इसे अगले दिन यानि 21 अगस्त को ही मनाया जाना चाहिए।



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