'शहीद' नहीं हैं भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू

आज के टाइम्स ऑफ इंडिया में एक खबर पढ़ी और पढ़ कर काफी हैरानी हुई कि देश की आज़ादी के लिए हंसते-हंसते फांसी पर झूल जाने वाले भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की गिनती शहीदों में नहीं होती। जी हां यहीं सच है। गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड्स में आजतक इन तीनों में से एक को भी शहीद घोषित नहीं किया गया है।
तुम शहीद नहीं हुए... 
इसी साल अप्रैल माह में गृह मंत्रालय में डाली गई एक आरटीआई में यह पूछा गया था कि भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को कब शहीद घोषित किया गया और अगर नहीं किया गया तो इसके लिए मंत्रालय क्या कर रहा है जिसके जवाब में मंत्रालय ने कहा कि उनके पास एक भी ऐसा रिकॉर्ड नहीं है जिससे यह पता चलता हो कि इन तीनों को कभी भी शहीद घोषित किया गया था। इस जवाब में यह भी कहा गया था कि मंत्रालय के पास यह जानकारी भी नहीं है कि इस मामले में सरकार कोई कदम उठा रही है या नहीं। 
अब भगत सिंह के रिश्तेदार (grandnephew) यादवेन्द्र सिंह इस मामले पर गृह मंत्रालय के अधिकारियों और यहां तक कि राष्ट्रपति से भी मिलने की तैयारी कर रहे हैं। अगर कोई भी इस मामले पर कुछ करने को तैयार नहीं होता तो यादवेन्द्र इन तीनों को शहीद का दर्जा दिलवाने के लिए देशव्यापी मुहिम चलाएंगे। कितनी हैरानी की बात है कि देश के लिए शहीद हुए शहीदों को शहीद का दर्जा दिलवाने के लिए भी हमारे देशवासियों को संघर्ष करना पड़ेगा.....

केवल सशस्त्र सेना के जवानों को मिलता है शहीदों का दर्जा

आपको यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि गृह मंत्रालय के अनुसार कभी भी किसी भी देशभक्त को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। ऐसी कोई नीति ही नहीं है। केवल रक्षा मंत्रालय ही देश की रक्षा में जान बचाने वाले "सशस्त्र सेना के जवानों" को शहीद का दर्जा दे सकता है। गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले किसी भी सैन्य बल जैसे परासैनिक बल (पैरामिलिट्री फोर्सेज) आदि के जवानों के लिए भी शहीद का दर्जा दिए जाने की नीति नहीं हैं जबकि इन बलों के जवान भी अक्सर कभी नक्सलियों, तो कभी उग्रवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवाते हैं। लेकिन वे मृतक ही रहते हैं कभी भी शहीद का दर्जा नहीं पाते। 

केदारनाथ में हुई हैलीकॉप्टर दुर्घटना में भारतीय वायु सेना के जवान शहीद हुए और आईटीबीपी के जवान मरे 

जी हां, चूंकि रक्षा मंत्रालय के जवानों के अलावा और किसी को शहीद नहीं कहा जाता इसलिए जून माह में में केदारनाथ में जो हैलीकॉप्टर दुर्घटना हुई थी, जिसमें कि 20 जवान शहीद हुए थे, उनमें से सिर्फ 5 को ही शहीद कहा गया। वो पांच जवान भारतीय वायु सेना के थे जबकि बाकी 15 जवान आईटीबीपी (इन्डो तिबेतियन बॉर्डर पुलिस) के थे। यहीं वजह है कि वायुसेना के जवानों को तो शहीद का सम्मान हासिल हुआ लेकिन बाकी जवानों को साधारण लोगों की तरह मृतक कहा जाता है। 


 

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