ज़रूरी नहीं कि गर्भवती मां से उसके बच्चे को एड्स हो ही जाए, संक्रमित सुई चुभने पर भी एड्स से बचना मुमकिन

  • गर्भवती मां से बच्चे को एड्स होने के खतरा सिर्फ 33 फीसदी
  • डॉक्टर की देखरेख और इलाज से हो सकता है सामान्य बच्चा
  • एड्स संक्रमित सुई चुभने पर भी इलाज संभव
  • 72 घंटे के अंदर दवाई ले लेने पर नहीं होता एड्स
हमने अक्सर एड्स जागरूकता के लिए चलाए जा रहे विज्ञापनों में यह पढ़ा है, देखा है और सुना भी है कि एड्स की जानकारी ही बचाव है लेकिन सच यह है कि इतने ज़ोर शोर से और इतने समय से एड्स की जागरूकता के लिए चलाए जा रहे विज्ञापनों के बावजूद लोगों में एड्स को लेकर कई गलत धारणाएं और भ्रांतिया है। जैसे कि लोग हमेशा यह सोचकर चलते हैं कि अगर गर्भवती स्त्री को  एड्स है तो उसके बच्चे को भी ज़रूर एड्स होगा या एचआईवी संक्रमित सुई चुभ जाने से लोगों को एड्स हो जाता है, या फिर एड्स से ग्रस्त व्यक्ति सामान्य ज़िंदगी नहीं जी सकता.... लेकिन सच्चाई यह है कि उपरोक्त बातों में सच्चाई कम है, एड्स का भय ज्यादा।


भ्रांति नंबर -1 एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती स्त्री से उसके बच्चे को एड्स होने की 99 फीसदी संभावना है
सच्चाई-
 यह बात बिल्कुल गलत है। सच यह है कि एचआईवी पॉजिटिव मां के गर्भवती होने पर उसके बच्चे को एड्स होने खतरा केवल 33 फीसदी होता है। और अगर गर्भ धारण के समय बीमारी का पता चलते ही डॉक्टर से मिल लिया जाए और आपका इलाज शुरू हो जाए तो यह खतरा दो फीसदी से भी कम रह जाता है। यहीं नहीं प्रसव के आखिरी महीनों में  बीमारी का पता चलने पर भी, पैदा होने वाले बच्चे में बीमारी की रोकथाम संभव है। लेकिन इस सब के लिए ज़रूरी है कि गर्भधारण के समय ही एड्स की जांच कराई जाए और सबसे महत्वपूर्ण अगर आपको एड्स है तो अपने डॉक्टर से कुछ ना छिपाएं। गर्भधारण के तुरंत बाद इलाज शुरू करें तो आपका बच्चा सामान्य ही होगा। एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती मां से बच्चे को एचआईवी होने का खतरा ज़रूर है लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि बच्चा बीमार ही पैदा हो।

 भ्रांति नंबर-2 एड्स रोगी के खून से संक्रमित सुई चुभने पर एड्स हो जाता है

सच्चाई- इस बात में आधी सच्चाई है। क्योंकि यह सच है कि यदि एड्स से बीमार किसी व्यक्ति के खून से संक्रमित सुई आपको चुभ जाए तो आपको एड्स हो सकता है लेकिन साथ ही यह बात भी सच है कि अगर सुई चुभे ऐसे व्यक्ति को 72 घंटे के अंदर एड्स के इलाज संबधी दवा दे दी जाए तो उसे एड्स नहीं होता। जी हां अगर आपको सुई चुभने के बाद आप तुरंत किसी एड्स के रोकथाम संबंधी चिकित्सालय या सरकारी अस्पताल में पहुंच कर अपनी जांच करवाएं तो वहां आपकी जांच के बाद आपको एक दवा लेने की सलाह दी जाती है। अगर 72 घंटे के अंदर आप यह दवा ले लें तो आपको एड्स नहीं होगा। यह दवा थोड़ी महंगी ज़रूर होती है लेकिन जिंदगी से बढ़कर कुछ भी नहीं।

भ्रांति नंबर-3 अगर आपको एड्स है तो आपके जीवनसाथी को भी एड्स हो जाएगा
सच्चाई- यह बात भी सही नहीं है। अगर आप कण्डोम का इस्तमाल करें और कुछ सावधानियां बरतें तो आप अपने जीवनसाथी को इस रोग से पूरी तरह बचा सकते हैं।

भ्रांति नंबर-4 
एड्स से ग्रस्त व्यक्ति सामान्य ज़िंदगी नहीं जी सकता
सच्चाई- एड्स रोग के मामले में यह सबसे बड़ी भ्रांति है जिसके कारण ना सिर्फ अन्य लोगों ने एड्स रोगियों से दूरी बना कर रखी हुई है बल्कि इसके रोगी भी यह सोचकर अपनी ज़िंदगी से प्यार करना छोड़ देते हैं कि एड्स के बाद तो वैसे भी मैं सामान्य जीवन नहीं जी सकता तो दवा लेने या इलाज कराने से क्या फायदा। जबकि सच यह है कि एड्स रोगी भी थोड़ी सी सावधानी रखकर, अपने रहन-सहन, खान-पान के तरीको में बदलाव लाकर और सही इलाज और सही दवा के नियमित सेवन से बिल्कुल स्वस्थ और सामान्य ज़िंदगी जी सकते हैं।

मत भूलिए की एड्स का वायरस आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है यदि आप अपनी दिनचर्या और आदतों में बदलाव लाकर और दवाई लेकर रोग और संक्रमण से बचे रह सकें तो आराम से सामान्य और संपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं। इसके लिए ज़रूरी यह है कि रोग का पता लगते ही तुरंत सरकार द्वारा बनाए गए एआरटी (एंटी रिट्रोवायरल ट्रीटमेंट केन्द्र) पर खुद को पंजीकृत करा कर दवाई वा इलाज शुरू करें।यह इलाज और दवाई बिल्कुल मुफ्त है।

दिल्ली में एआरटी के नौ सेवा केन्द्र हैं- 

  1. एम्स अस्पताल
  2. सफदरजंग अस्पताल
  3. एलआरएस इंस्टीट्यूट ऑफ टीबी एंड एलाइड साइंसेज, महरौली
  4. दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, हरिनगर, दिल्ली
  5. लोकनायक अस्पताल, जवाहर लाल नेहरू मार्ग
  6. डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, खड़ग सिंह मार्ग
  7. कलावती सरन बाल अस्पताल, पंचकुईया मार्ग
  8. गुरू तेग बहादुर अस्पताल, शाहदरा
  9. डॉ बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल, रोहिणी
(इन सेवा केंद्रो पर एड्स के रोगी की जांच, सलाह मश्वरा, पजीकरण, इलाज वगैरह होता है साथ ही मुफ्त दवा भी दी जाती है)
 
इसके अतिरिक्त दिल्ली में समाज सेवी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे सामुदायिक एड्स केयर होम्स भी हैं। एड्स रोगी यहां भी संपर्क कर सकते हैं
  • आकांक्षा (भजनपुरा- 32566703, 9810255143)
  • सहारा माइकल केयर होम (दरिया गंज- 23280713, 9958638081)
  • शलोम (जनकपुरी- 26432055, 25546519, 26461487)
  • चाइल्ड सर्वाइवल ऑफ इन्डिया ( खेड़ा खुर्द -27844749, 9810986101)
  • केयर एंड सपोर्ट होम ( तिलक नगर- 42133937, 9891277482)
  • नाज़ केयर होम (ईस्ट ऑफ कैलाश- 26910499, 9910339996)
  • लव, फेथ एंड एक्शन ट्रस्ट (पहाड़ गंज- 23583116)
  • दीप्ति फांउडेशन (नज़फगढ़-28010125, 20382417)
इसके अतिरिक्त एड्स संबंधी किसी भी सलाह हेतू आप देहली नेटवर्क ऑफ पॉजिटिव पीपल, नेबसराय पर भी संपर्क कर सकते हैं ( 29535239, 29534370)
 
(डॉक्टर से बातचीत पर आधारित)
 
 

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