अब सीधे शादियों में धावा बोल देते हैं किन्नर
यह तो मैंने एक शादी का हाल बयां किया है। लेकिन हकीकत यह है कि आजकल उत्तर प्रदेश की बहुत सी शादिया इन ज़बरदस्ती के मेहमानों के आने से खराब हो जाती हैं। पहले तो यह लोग घर में बहू आने के बाद पैसे मांगने आया करते थे लेकिन आजकल सीधे शादियों में ही धावा बोल देते हैं। इन लोगों का सूचना तंत्र काफी मज़बूत होता है, कहां शादी है, कब शादी है इन्हें पहले से ही पता चल जाता है और फिर आजकल यह लोग सीधे शादी में पहंच जाते हैं और अपनी पैसो की मांग शुरू कर देते हैं।
आप सबका पाला कभी ना कभी इन किन्नरों से ज़रुर पड़ा होगा, आप जानते ही होंगे कि इनकी मांगे कितनी ऊंची होती हैं। इतने सारे रिश्तेदारों और शादी के बीच में जब यह किन्नर हंगामा करके नाजायज़ मांग रखते हैं, तो बेचारे लोगो को लोक लाज और अप्रिय घटना घटने के डर से ना चाहते हुए भी इन्हें पैसे देने पड़ते हैं।
कुछ और लोगों ने भी अपने ऐसे ही अनुभव बताए जो कि शादी के दौरान किन्नरों के आने और ज़बरदस्ती करने का नज़ारा कर चुके थे।
आगरा में मेरे दूर के एक अन्य रिश्तेदार के बेटे की शादी में भी ऐसा ही हुआ था। वहां तो इन किन्नरों ने काफी हंगामा और अश्लील हरकतें भी की। पुलिस को फोन करने की भी नौबत आ गई थी। लेकिन किन्नर वहां से जबरदस्ती ग्यारह हज़ार रुपए लेकर ही गए। मेरे पापा जो कि इस घटना के साक्षी थे बेहद रोषपूर्ण स्वर में बताते हैं " कि यह किन्नर पूरी शादी की मज़ा किरकिरा करके चले गए। हंसी-खुशी से जो शादी चल रही थी वो इन किन्नरों के आने के कारण बिगड़ ही गई और ऊपर से भाई साहब के ग्यारह हज़ार रुपए और चले गए। पुलिस को फोन किया तो उन्होंने भी यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि भई इन के मामले में हम कुछ नहीं कर सकते, आपको ही निबटना होगा"।
सवाल यह है कि जब पुलिस प्रशासन का ही यह हाल है तो इन लोगों की इस तरह की हरकतों से कौन निबटेगा। राज्य कोई भी हो, शहर कोई भी हो, कस्बा कोई भी हो या परिवार कोई भी हो, यह लोग बच्चो के जन्म पर और शादी के बाद घरों में ज़बरदस्ती घुसकर पैसे मांगने पहुंच ही जाते हैं। और अब तो यह सीधे शादी में ही पहुंचने लगे हैं।
हमारे बुज़ुर्ग भी यह कह कर इनको पैसे देने का समर्थन कर देते हैं कि बरसों से परम्परा चल रही है और बधाई के मौके पर इनको दान देना शुभ होता है। लेकिन हकीकत यह है कि यह बात स्वेच्छा से दान देने से बहुत आगे बढ़ चुकी है। सब जानते हैं कि यह आजकल ग्यारह हज़ार से नीचे बात नहीं करते और वो भी ज़बरदस्ती ले जाते हैं।
और आजकल तो इन्होंने लोगो को परेशान करके उनसे पैसे ऐंठने का नया तरीका अपना लिया है.., सीधे शादियों में पहुंचकर, वहां की खुशियों में भंग डालना... यह तो वाकई शर्मनाक बात है। एक तो वैसे ही आज के इतने महंगाई के ज़माने में शादियों में अच्छा-खासा खर्चा होता है उस पर लोग शादी में पहुंचे हुए इन ज़बरदस्ती के मेहमानों के हंगामे से बचने और अपने रिश्तेदारों को परेशानी से बचाने के लिए इनकी अनर्गल मांगो को पूरी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। लेकिन चूंकि इन पर लगाम कसने वाला कोई नहीं है इसलिए इनकी मर्ज़ी चले जा रही है और बेचारे लोग सहे जा रहे हैं।
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